
Independence Day 2025 Red Fort Flag Hoisting History: हर साल 15 अगस्त को जब दिल्ली के लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा लहराता है, तो यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की आजादी, गर्व और एकता का प्रतीक बन जाता है। इस ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत 1947 में हुई, जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजाद भारत का पहला तिरंगा यहां फहराया। उस दिन ब्रिटिश शासन का प्रतीक यूनियन जैक हमेशा के लिए नीचे उतार दिया गया और उसकी जगह भारतीय तिरंगा लहराने लगा। तब से यह स्थान स्वतंत्र भारत की ताकत और गौरव का प्रतीक माना जाता है।
उस समय लाल किले का मुख्य द्वार लाहौरी गेट कहलाता है। मुगल शासन के समय सम्राट यहीं से निकलते थे और इस दरवाजे से जाने वाला रास्ता सीधे लाहौर (अब पाकिस्तान) तक जाता था, इसी वजह से इसका नाम ‘लाहौरी गेट’ पड़ा। उस दौर में यह रास्ता शाही जुलूस का हिस्सा और दिल्ली की शक्ति का प्रतीक भी माना जाता था।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारत की हार के बाद अंग्रेजों ने इसी गेट पर अपना झंडा यूनियन जैक फहराया। यह ब्रिटिश हुकूमत के पूरे देश पर कब्जे का प्रतीक था। लेकिन 15 अगस्त 1947 को यहां तिरंगा फहराकर यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत अब आजाद है और अपने फैसले खुद ले सकता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी और उनका सपना था कि एक दिन लाल किले पर आजाद हिंद फौज का झंडा लहराए। भले ही यह सपना उनके जीवनकाल में पूरा न हो सका, लेकिन 15 अगस्त 1947 को तिरंगे के रूप में उनका सपना साकार हुआ।
ये भी पढ़ें- इन 10 जगहों पर जाकर महसूस करें आजादी का इतिहास, जहां आज भी जिंदा हैं स्वतंत्रता संग्राम के अहम पल
आजादी के तुरंत बाद यह तय किया गया कि लाल किले के लाहौरी गेट पर हर साल 15 अगस्त को तिरंगा फहराने का अधिकार केवल प्रधानमंत्री के पास होगा। यह दिन सिर्फ एक राष्ट्रीय उत्सव ही नहीं, बल्कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम की याद, शहीदों के बलिदान और भारत की संप्रभुता का प्रतीक बन गया। यह परंपरा आज भी उतनी ही गरिमा और गर्व के साथ निभाई जाती है और हर बार जब तिरंगा हवा में लहराता है, तो करोड़ों भारतीयों के दिल में आजादी का जज्बा और भी मजबूत हो जाता है।
ये भी पढ़ें- Independence Day 2025 Slogan: स्वतंत्रता दिवस के 20 सबसे यादगार नारे, 15 अगस्त पर भर देंगे देशभक्ति का जोश