क्या आप जानते हैं "जाके पांव न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई" का मतलब?

Published : Nov 29, 2024, 10:00 AM IST
Muhavare In Hindi

सार

Muhavare: मुहावरे भाषा को रोचक बनाते हैं और गहरे अर्थ छुपाते हैं। यहां कुछ दिलचस्प मुहावरों और उनके मतलब के बारे में जानिए, जो अक्सर परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं।

Muhavare: मुहावरे हमारे भाषा का एक अहम हिस्सा होते हैं, जो किसी भी भाषा की रंगीनियों और खूबसूरती को बढ़ाते हैं। ये आम शब्दों को विशेष अर्थ देने का काम करते हैं और बोलचाल में उनका इस्तेमाल बातचीत को और भी रोचक और प्रभावशाली बना देता है। मुहावरे सीधे-सीधे अर्थ से हटकर कुछ विशेष संकेत या भावनाएं व्यक्त करते हैं, जिन्हें समझने और सही तरीके से प्रयोग करने से एक व्यक्ति की भाषा में निखार आ सकता है। अक्सर प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी मुहावरे और उनके अर्थ पूछे जाते हैं। यहां जानिए कुछ दिलचस्प मुहावरों की जबरदस्त मीनिंग विस्तार से।

मुहावरा- "आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी रहे न पूरी पावे"

मुहावरे का अर्थ: लालच और अतृप्त इच्छाओं के कारण इंसान जो उसके पास है, उसे भी गंवा बैठता है। यह मुहावरा हमें यह सिखाता है कि संतोष एक बड़ी दौलत है। अगर हम अपनी वर्तमान स्थिति को छोड़कर केवल बड़ी चीज पाने की कोशिश करेंगे, तो दोनों से हाथ धो सकते हैं। संतुलन और सही समय पर निर्णय लेना जरूरी है।

मुहावरा- "खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना"

मुहावरे का अर्थ: बिना किसी योगदान के नुकसान करना या झूठा दिखावा करना। यह मुहावरा उन लोगों पर लागू होता है, जो बिना किसी उत्पादक काम के दूसरों के लिए समस्या खड़ी करते हैं। यह जीवन में फिजूलखर्ची और अनावश्यक दावों से बचने का संदेश देता है।

मुहावरा- "अंधों में काना राजा"

मुहावरे का अर्थ: अयोग्य लोगों के बीच थोड़ा योग्य व्यक्ति भी बड़ा माना जाता है। यह मुहावरा हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि योग्यता सापेक्ष होती है। जब प्रतिस्पर्धा का स्तर कम होता है, तो मामूली योग्य व्यक्ति भी श्रेष्ठ लग सकता है।

मुहावरा- "जाके पांव न फटे बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई"

मुहावरे का अर्थ: जिसने खुद कष्ट नहीं झेला, वह दूसरों का दर्द नहीं समझ सकता। यह मुहावरा सिखाता है कि सहानुभूति और संवेदनशीलता का विकास तब ही होता है, जब हम किसी दर्द या समस्या को खुद अनुभव करें।

मुहावरा- "धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय"

मुहावरे का अर्थ: धैर्य और समय से ही सभी कार्य पूरे होते हैं। यह मुहावरा हमें जल्दबाजी से बचने और धैर्यपूर्वक सही दिशा में मेहनत करने की सीख देता है। सफलता कोई तात्कालिक घटना नहीं होती, इसके लिए समय और प्रयास चाहिए।

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Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...

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