कौन हैं गीतांजली श्री जिन्होंने रचा है इतिहास, पहली बार किसी हिन्दी राइटर को मिला अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

 यह इतिहास में पहली बार है जब किसी हिन्दी राइटर को यह सम्मान दिया गया है। उनके उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' के लिए पुरस्कार दिया गया है। यह हिन्दी भाषा का पहला नॉवेल है जिस यह सम्मान दिया गया है।

करियर डेस्क. हिन्दी लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) से सम्मानित किया गया है। यह इतिहास में पहली बार है जब किसी हिन्दी राइटर को यह सम्मान दिया गया है। उनके उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' के लिए पुरस्कार दिया गया है। यह हिन्दी भाषा का पहला नॉवेल है जिस यह सम्मान दिया गया है। गीतांजलि श्री उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले की रहने वाली हैं। गीतांजली का हिन्दी उपन्यास 'रेत समाधी' के नाम से प्रकाशित हुआ था। उनके इस उपन्यास को डेजी रॉकवेल ने अग्रेजी में 'टॉम्ब ऑफ सैंड' के नाम से ट्रांसलेट किया था। 

64 वर्षीय गीतांजली श्री का नॉवेल 'टूंब ऑफ़ सैंड' ब्रिटेन में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली किताबों में से एक है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित 'रेत समाधि'को गुरुवार को लंदन में आयोजित समारोह में अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  

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कभी नहीं की थी कल्पना
सम्मान मिलने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा कि उन्होंने जीवन में कभी कल्पना नहीं कि थी कि वो इस सम्मान को जीत पाएंगी। उन्होंने कहा कि मैंने कभी बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी। मैंने कभी शइके बारे में सोचा भी नहीं था। मैं हैरान हूं, प्रसन्न हूं औऱ खुद को सम्मानित महसूस कर रही हूं।

कौन हैं गीतांजली श्री
गीतांजलि श्री  बीते दिन दशकों से लेखन का काम कर रही हैं। उनका पहला उपन्यास 'माई' और फिर 'हमारा शहर उस बरस' 1990 में पब्लिश हुए थे।  उन्होंने 'तिरोहित' आया और फिर आया 'खाली जगह' जैसे उपन्यास भी लिखे। वहीं, उनकी कहानियों की बात करें तो उन्होंने वो स्त्री मन में, समाज के भीतर समेत कई कहानियां लिखीं हैं। उनकी किताबों का अनुवाद कई भाषाओं में हो चुका है। गीतांजलि श्री के उपन्यास 'माई' का अंग्रेजी अनुवाद 'क्रॉसवर्ड अवॉर्ड' के लिए भी नॉमिनेट किया गया था।

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