
करियर डेस्क. कर्नाटक की गृह सचिव और आईपीएस अफसर डी रुपा (IPS D. Roopa) एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने एक योजना के टेंडर से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए राज्य के गृह सचिव (Karnataka home secretary) पद का दुरुपयोग किया। अधिकारी परियोजना से संबंधित नहीं थी उन्होंने कथित रूप से होम मिनिस्ट्री के नाम निविदा से जुड़ी जानकारी जुटाने की कोशिश की।
डी रूपा ने करीब 619 करोड़ रुपये की सुरक्षित सिटी परियोजना (Bengaluru Safe City project) के टेंडर से जुड़ी विस्तृत जानकारी देने की मांग की। उन्होंने सलाहकारों से कहा कि ये जानकारी मुख्य गृह सचिव ने मांगी है। बता दें कि राज्य में ये परियोजना केंद्र द्वारा निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) के तहत फाइनेंस की जा रही है।
पुलिस ने चीफ सचिव की शिकायत
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने राज्य के मुख्य सचिव टीएम विजय भास्कर (TM Vijay Bhaskar) से शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद ये मामला सुर्खियों में आ गया। पुलिस ने मुख्य सचिव से क्रॉस चेक किया तो पूरी बात खुल गई।
बता दें कि, इस परियोजना का उद्देश्य शहर में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। परियोजना के तहत, सरकार की योजना राज्य में 7,500 सीसीटीवी कैमरे लगाने की है।
मामला क्या है?
इस परियोजना अनुरोध प्रस्ताव (RFP) तैयार करने के लिए पुलिस ने एक स्वतंत्र परियोजना प्रबंधन फर्म को हायर किया था। परियोजना के लिए निविदा 11 नवंबर को अपलोड की गई थी।
बाद में, पुलिस को पता चला कि एक IPS अधिकारी, जो परियोजना से संबंधित नहीं थीं ने निविदा अपलोड होने से पहले सलाहकारों से निविदा सूचना प्राप्त करने की कोशिश की। महिला अधिकारी ने कथित तौर पर पिछले आरएफपी (RFP) का विवरण भी मांगा जो रद्द कर दिया गया।
कैसे खुली ये बात
कंसल्टेंसी फर्म द्वारा 9 नवंबर को बेंगलुरु पुलिस से संपर्क करने के बाद यह मामला सामने आया कि क्या इस जानकारी को अधिकारी के साथ साझा किया जाना चाहिए। शहर के पुलिस ने गृह सचिव के साथ क्रॉस-चेक किया, जिन्होंने कहा कि उन्होंने परियोजना का कोई विवरण नहीं मांगा है। पुलिस को पता चला कि यह एक आईपीएस अधिकारी था जो विवरण मांग रहा था।
मुख्य सचिव ने कहा है कि विभाग अधिकारी के इस मामले में दखल देने से अवगत है और इस संबंध में उचित कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, राज्य के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने मामले में आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
डी रूपा का क्या कहना है?
The Bengaluru Live से बात करते हुए डी रूपा ने कहा कि उन्होंने निविदा दस्तावेज तैयार करने वाले सलाहकारों को यह सुनिश्चित करने के इरादे से बुलाया था कि निविदा प्रक्रिया किसी एक बोलीदाता (bidder) के पक्ष में तो नहीं है।