21 जून की दोपहर क्यों नहीं बनती कुतुबमीनार की परछाईं, सच्चाई जानने योग दिवस पर स्टडी करेंगे वैज्ञानिक

Published : Jun 20, 2022, 01:30 PM IST
21 जून की दोपहर क्यों नहीं बनती कुतुबमीनार की परछाईं, सच्चाई जानने योग दिवस पर स्टडी करेंगे वैज्ञानिक

सार

तरुण विजय ने बताया कि इस खगोलीय घटना से पहले विष्णु गरुड़ ध्वज यानी लौह स्तंभ में एक योग कार्यक्रम होगा। लंबे वक्त बाद इस तरह का कोई आयोजन होने जा रहा है। इस मौके पर कुतुबमीन के चारों ओर सूर्य की गति का अध्ययन किया जाएगा। 

नई दिल्ली : क्या कुतुबमीनार (Qutab Minar) के झुके होने के कारण 21 जून को दोपहर में इसकी परछाईं नहीं बनती? या फिर इसके पीछे कोई और खगोलीय महत्व है? ऐसे ही सवालों का जवाब खोजने के लिए अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस (International Yoga Day 2022) पर राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण, संस्कृति मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से एक खगोलिया भौतिक विश्लेषण का आयोजन करवाने जा रहा है। योग दिवस पर दुर्लभतम आयोजनों में से इस आयोजन के दौरान कुतुबमीन के चारों ओर सूर्य की गति का अध्ययन किया जाएगा। 

अध्ययन का उद्देश्य
21 जून को होने वाले इस अध्ययन का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या कुतुबमीनार एक निश्चित कोण पर झुका हुआ है? क्या इसका कोई खगोलीय महत्व है? क्या 21 जून को स्थानीय दोपहर में मीनार की शून्य छाया है? क्योंकि कुछ पुरातत्वविदों का मानना है कि कुतुबमीनार के झुके होने की वजह से 21 जून को परछाई नहीं पड़ सकती। इसलिए योग दिवस पर इस तरह के आयोजन को रखा गया है। 

कौन-कौन से विशेषज्ञ होंगे शामिल
वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सर्वेक्षकों ने अध्ययन के लिए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अनुरोध पर एक टीम बनाई है। जिसमें भारतीय वैज्ञानिक संचार संस्थान के प्रमुख डॉ. नेरुज मोहन रामानुजन शामिल हैं। उनके अलावा एस्ट्रोफिजिक्स, बैंगलोर, आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र यादव और सर्वे ऑफ इंडिया से राजीव ध्यानी भी टीम का हिस्सा हैं। अध्ययन और विश्लेषण के बाद टीम राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

अध्ययन की टाइमिंग
अध्ययन 21 जून को सुबह 11.30 बजे शुरू होगा और दोपहर 1.30 बजे तक चलेगा। विश्लेषण के लिए कुछ विशेष उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। एक एप के माध्यम से पूरी घटना को ट्रैक भी किया जाएगा। इस समय के दौरान वैज्ञानिक हर 10 मिनट में छाया की लंबाई मापने की कोशिश करेंगे। यह स्टडी हमें बताएगा कि स्थानीय दोपहर में शून्य छाया है। इसके साथ ही छाया की लंबाई की प्रगति को ट्रैक करने में भी इससे मदद मिलेगी। इसकी जानकारी तरुण विजय ने दी है।

कुतुबमीनार के झुकाव कोण की भी गणना
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय ने बताया कि कुतुबमीनार के आयामों को देखते हुए, हम इन मापों से झुकाव कोण की गणना करने में सक्षम होंगे। झुकाव के कुछ कोणों के लिए, हम उम्मीद करते हैं कि स्थानीय दोपहर में छाया जमीन पर गिरेगी और कुछ टावर पर ही गिर जाएगी। इस उद्देश्य के लिए हमने ऊर्ध्वाधर कोणों को मापने के लिए एक उपकरण के इस्तेमाल का भी अनुरोध किया है। जो भी माप किए जाएंगे वह सटीक होंगे। 

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