ऑनलाइन चलीं क्लास, खर्चे हुए कम इसलिए फीस में 15% की कटौती करे स्कूल: SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल नहीं खुले और ऑनलाइन क्लास चलाई गई। इसलिए संचालन का खर्च कम हो गया है। इसलिए उन्हें ऑनलाइन क्लासेस की फीस जरूर घटानी चाहिए।
 

Asianet News Hindi | Published : May 4, 2021 8:32 AM IST / Updated: May 04 2021, 04:32 PM IST

करियर डेस्क. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  के एक फैसले से पैरेंट्स को राहत मिली है। राजस्थान में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आदेश दिया है कि स्कूलों को एकेडमिक सेशन 2020-21 की वार्षिक फीस (school Fees) में 15 प्रतिशत की कटौती करें, क्योंकि छात्रों ने इस वर्ष में वह सुविधाएं नहीं ली, जो वह स्कूल जाने पर मिलती हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण अवलोकन किए हैं जो स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में महामारी के समय में लागू होते हैं। बता दें कि कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में स्कूलें बंद हैं ऐसे में ऑनलाइन क्लास चल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसलिए संचालन का खर्च कम हो गया है। इसलिए उन्हें ऑनलाइन क्लासेस की फीस जरूर घटानी चाहिए।

राजस्थान के स्कूलों की अर्जी पर हुई सुनवाई
राजस्थान के कई स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी, जिसमें स्कूलों को 30% फीस माफ करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा- ऐसा कोई कानून नहीं है, जो राज्य सरकार को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार देता हो, पर हम भी यह मानते हैं कि स्कूलों को फीस घटानी चाहिए।

क्या कहा कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 36,000 गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को सोमवार को निर्देश दिया कि वे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों से सालाना 15 प्रतिशत कम फीस लें। अगर किसी छात्र ने फीस जमा नहीं कि है तो उसे ऑनलाइन क्लास या स्कूल की कक्षाओं में शामिल होने से रोका नहीं जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए पैरेंट्स द्वारा शुल्क का भुगतान छह बराबर किस्तों में किया जाएगा।
   
क्या था मामला
राजस्थान के 36 हजार सहायता प्राप्त प्राइवेट और 220 सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूलों का है। राज्य सरकार ने स्कूलों को आदेश दिया था कि लॉकडाउन को देखते हुए स्कूल छात्रों से 30 फीसदी कटौती करें। इस आदेश को स्कूलों ने हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी। 

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