मामूली नहीं है 72 साल का ये पद्मश्री किसान, उगा चुका है 86 किलो का कद्दू, और भी बहुत चीजें

राजस्थान के सीकर जिले के इस 72 साल के किसान को ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में काम करने के लिए इस साल पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। जगदीश पारिख नाम के इस किसान ने अपने खेतों में कई किस्म की सब्जियां उगाई हैं। इन्होंने एक ऐसा कद्दू उगाया जिसका वजन 86 किलो है। 
 

करियर डेस्क। काम करने की लगन और मेहनत करने का जज्बा हो तो ऐसी उपलब्धियां भी हासिल की जा सकती हैं, जिन पर एकबारगी यकीन कर पाना लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। राजस्थान के सीकर जिले के 72 वर्षीय किसान जगदीश पारिख ऐसी ही शख्सियत हैं, जिन्हें ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में काम करने के लिए इस साल पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने खेतों में कई किस्म की सब्जियां उगाई हैं। इन्होंने एक ऐसा कद्दू उगाया जिसका वजन 86 किलो है। इनकी दो हेक्टेयर की कृषि भूमि सीकर जिले के अजितगढ़ में है, जहां ये लगातार काम करते देखे जा सकते हैं। 

पद्मश्री मिलने पर क्या कहा
इस साल की शुरुआत में इनके पास नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन से एक फोन आया और पद्मश्री अवॉर्ड मिलने की जानकारी दी गई। जगदीश पारिख बताते हैं कि उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड के महत्व का पता तब चला जब वे दिल्ली गए और उन्हें यह अवॉर्ड मिला। बता दें कि ऑर्गेनिक सब्जियों के उत्पादन के लिए जगदीश पारिख को और भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जगदीश पारिख का कहना है कि वे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद सब्जियां उगाते रहना चाहते हैं और दूसरे किसानों को भी ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियों का उत्पादन करने के लिए कहते हैं। उनका कहना है कि केमिकल खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर उगाई जाने वाली सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदेह होती हैं। 

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10 साल की उम्र से ही शुरू किया काम
पारिख सब्जियों की खेती से 10 साल की उम्र में ही जुड़ गए थे। शुरुआत में वह बाजार में सब्जियां ले जाने और उन्हें बेचने में अपने पिता और चाचा की मदद किया करते थे। वे 5 बजे ही जाग जाते थे और सब्जियां बाजार में ले जाने में परिवार की मदद करने के बाद स्कूल जाते थे। उनका कहना है कि यह सिलसिला 10 वर्षों तक चला। इसके बाद से ही उनमें सब्जियों की खेती को लेकर रुचि पैदा हुई। 12वीं पास करने के बाद उन्होंने कॉलेज में एडमिशन ले लिया, लेकिन ग्रैजुएशन की फाइनल परीक्षा पास नहीं कर सके। इसके बाद ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) में असम में उन्हें नौकरी मिली। लेकिन यह नौकरी उन्होंने ज्यादा दिनों तक नहीं की और गांव वापस लौट आए। 

मामा के साथ सब्जी उगाने का शुरू किया काम
पारिख ने पहले अपने मामा के फार्म पर काम करना शुरू किया। उनके मामा भी बिना केमिकल वाले खाद और पेस्टिसाइड्स के सब्जियां उगाया करते थे। उनसे ही उन्होंने ऑर्गेनिक खेती के तरीके सीखे। उन्होंने बिना केमिकल के खुद खाद तैयार करना सीखा। साल 1970 तक उन्होंने उनके साथ ही काम किया। इसी साल उनके पिता जी की मौत हो गई। उन्हें खेती के लिए दो हेक्टेयर पुश्तैनी जमीन मिल गई। इसी जमीन पर उन्होंने ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती शुरू कर दी।  

तरह-तरह की उगाईं सब्जियां
जगदीश पारिख ने तरह-तरह की सब्जियां उगाई हैं। उन्होंने 15 किलो की गोभी के साथ 86 किलो का कद्दू भी उगाया जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने 7 फीट की तुरई भी उगाई और 8 किलो की बंदगोभी अपने खेत में पैदा की। यही नहीं, उन्होंने 3 फीट लंबे बैंगन भी उपजाए। इन्होंने जो गोभी उगाई, उसे द नेशलन इनोवेशन फाउंडेशन से पहला नेशनल ग्रासरूट इनोवेशन अवॉर्ड मिला। इस गोभी को साल 2001 में इन्होंने पेटेंट कराया, जिसका नाम अजितगढ़ वेराइटी है। इन सब्जियों के उत्पादन में किसी तरह के केमिकलयुक्त खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया गया। 

कई राष्ट्रपतियों को उपहार में दी सब्जियां
जगदीश पारिख ने भारत में 6 राष्ट्रपतियों के कार्यकाल को देखा। उन्होंने अपनी खास सब्जियां पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी तक को उपहार के रूप में दी। आज ऑर्गेनिक सब्जियों के उत्पादन के लिए जगदीश पारिख सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों में भी जाने जाते हैं। इस उम्र में भी उन्हें खेत में काम करते देखा जा सकता है। 
 

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