UPSC आपके धैर्य की भी लेता है परीक्षा, पढ़ें हर सब्जेक्ट में टॉपर और गोल्ड मेडलिस्ट UPSC 2020 अचीवर की जर्नी

Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने डॉ राजदीप सिंह खैरा से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी। 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2021 5:15 PM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:20 PM IST

करियर डेस्क.  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में डॉ राजदीप सिंह खैरा (Dr Rajdeep Singh Khaira) ने वर्ष 2016 से लेकर 2020 तक लगातार पांच अटेम्पट दिए। पहले अटेम्पट में वह इंटरव्यू तक गए लेकिन मेरिट लिस्ट में उनका नाम नहीं आ सका। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार तैयारी में जुटे रहे। यूपीएससी 2020 में उनकी 495वीं रैंक आई है। वैसे भी यह साल उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहा। मई में ही उनके पिता का कोविड की वजह से निधन हो गया और सितम्बर में उनका इंटरव्यू था। पिता के निधन से खैरा को झटका लगा। पर उनका कहना है कि कोई भी परिस्थति हो कि आप यह तय करो कि आपको यह लक्ष्य हासिल करना है। नेवर गिवअप एटीट्यूड ही आपको सफलता दिलाएगा। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने भाई अमनदीप सिंह को देते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने डॉ राजदीप सिंह खैरा से बातचीत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी। 


जर्नी में डिस्ट्रैक्शन से प्रभावित हुए बिना चलते रहना जरूरी
राजदीप की प्रारम्भिक शिक्षा सेक्रेट हार्ट कॉन्वेंट स्कूल, सराभा से हुई। इसके बाद उन्होंने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और राजिंदरा हॉस्पिटल पटियाला से एमबीबीएस की डिग्री ली। वर्ष 2017 में उनका चयन मेडिकल ऑफिसर के पद पर भी हुआ था। वर्तमान में वह सिविल अस्पताल कूमकलां में कार्यरत हैं। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान यूपीएससी परीक्षा में शामिल होने का निर्णय लिया। खैरा कहते हैं कि उनकी पांच साल की जर्नी में सबसे क्रिटिकल चीज यह है कि जब आप तैयारी करते हो तो बहुत बार आपको निराशा हो सकती है। तैयारी के दौरान डिस्ट्रैक्शन बहुत होती है। लेकिन आपको उनसे प्रभावित हुए बिना चलते रहना होता है। यह प्रक्रिया है। असफलता मिलती है तो स्वीकार कीजिए। उसके बाद खुद को खत्म मत कर दीजिए। अगर आपको खुद को प्रूव करना है तो भी आपको लगे रहना है। 

गलतियों से सबक लेकर बढ़े आगे
उनका कहना है कि उन्हें बहुत असफलताएं मिली। पहले अटेम्पट में वह इंटरव्यू तक पहुंच गए थे लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। उससे उन्होंने सबक लिया और आगे बढ़े। उनका कहना है कि आपके पास दो विकल्प हैं या तो अपने फेलियर पर निराश हो जाओ और आपने आपको डिप्रोग्रेसिव कर लो या फिर खुद को पिकअप करो। पिछला जो हो गया उसको लर्निंग लेशन लेकर चलो कि जो इस बार गलती किया वह दोबारा नहीं करूंगा।

माइंड के साथ फिटनेस की अहमियत ज्यादा
लुधियाना के जमालपुर के रहने वाले डॉ राजदीप सिंह खैरा की हॉबीज वाकिंग और ट्रैवेलिंग है। उनकी हॉबीज ने यूपीएससी जर्नी के दौरान उनकी काफी मदद की। उनका कहना है कि यह हॉबी माइंड और बॉडी को रिफ्रेश कर देती है। इस जर्नी में माइंड के साथ साथ फिटनेस की बड़ी अहमियत है। वह 90 मिनट से ज्यादा वॉक करते हैं।

यूपीएससी आपके धैर्य की भी लेता है परीक्षा
डॉ खैरा कहते हैं कि 10वीं कक्षा में उनके 91 प्रतिशत अंक थे। 12वीं कक्षा में वह डिस्ट्रिक्ट टापर रहे, उनके 94 प्रतिशत अंक थे। एमबीबीएस में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। यूपीएससी ने उन्हें पहला फेलियर दिया। यह परीक्षा आपके धैर्य का भी टेस्ट लेती है। दूसरे 24 से 28 साल की उम्र में बहुत चुनौतियां होती हैं, बहुत डिस्ट्रैक्शन होते हैं, शादी का प्रेशर होता है। कोई साथ का छात्र सफल हो जाता है। वह नौकरी कर रहा है, पैसा कमा रहा है। आप अभी तैयारी कर रहे हैं। बाकि बच्चे कुछ और कर रहे होते हैं। इन सब चीजों का भी आप पर असर पड़ता है। लेकिन आप यदि नेवर गिवअप एटीट्यूड के साथ लगे रहेंगे तो सफलता मिल सकती है। उनका यह भी कहना है कि सोशल मीडिया से ज्यादा डिस्ट्रैक्शन होता है। इसलिए उन्होंने पिछले पांच साल में सोशल मीडिया पर कोई एकाउंट नहीं बनाया।

एग्जाम ओरिएंटेड नजरिए से दिया इंटरव्यू
डॉ राजदीप सिंह खैरा का पहले भी इंटरव्यू दे चुके थे। इसकी वजह से उनके अंदर इंटरव्यू को लेकर यह आशा थी कि यदि वह इंटरव्यू में बहुत अच्छा नहीं कर पाएं तो औसतन रिजल्ट अच्छा आ ही जाएगा। इंटरव्यू में 185 मार्क्स आए हैं। यह अच्छा स्कोर माना जाता है। उनका एग्जाम ओरिएंटेड नजरिया था। इंटरव्यू 40 से 45 मिनट चला था।

अपना जुगाड़ खुद बनाइए
डॉ खैरा का कहना है कि अगर मेरे लिए कोई टेक्नोलॉजी, बुक या ट्रिक काम कर रही है तो वह जरूरी नहीं है कि आपके लिए भी काम करे। उन्होंने इंटरव्यू की तैयारी के दौरान एक भी मॉक इंटरव्यू नहीं दिया। जबकि यूपीएससी की सर्किल में कहा जाता है कि यदि अपने मॉक इंटरव्यू नहीं दिया तो आपका स्कोर अच्छा नहीं आ सकता। उनका कहना है कि अपना जुगाड़ अपने से बनाइए। अगर आपको लगता है कि यह करने से आपको फायदा होगा तो वही करिए। यूपीएससी सिर्फ आपको रिक्वायरमेंट बताती है कि मु्झे ऐसा बंदा चाहिए। आप उस तरह से कैसे खुद को साबित करते हैं। यह आपके ऊपर है तो अपने हिसाब से देखिए कि आपके लिए क्या ठीक है। किसी को ब्लाइंडली फॉलो मत करिए।

असफलता से बेचैन नहीं तो यूपीएससी मुश्किल
डॉ खैरा कहते हैं कि खुद पर भरोसा रखिए। यूपीएससी क्लियर करने का कोई पक्का रूल नहीं है कि यह करेंगे तो सफलता मिलेगी। यूपीएससी को जिसे क्लियर करना है। उसे उसी के बारे में सोचना पड़ेगा। एक भूख अंदर होनी चाहिए अगर आप अपनी असफलता से बेचैन नहीं है तो यूपीएससी निकालना मुश्किल हो जाएगा।

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