24 मार्च से 31 मई तक, एक राष्ट्र के रूप में भारत ने एक अभूतपूर्व पल का अनुभव एक साथ किया। और इसी अनोखे पल पर बनी है फिल्म 'उठेंगे हम'। ये फिल्म तैयारी की है भारत बाला और उनकी टीम ने। भारत बाला के 'उठेंगे हम' प्रोजेक्ट पर करीब 117 लोगों ने काम किया। शॉर्ट फिल्म 'उठेंगे हम' का फिल्मांकन देश के कई शहरों में किया गया। इसमें देश में हुए टोटल लॉकडाउन को बहुत ही बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। इसकी शुरुआत पीएम मोदी के भाषण से होती जहां उन्होंने 24 मार्च की रात को देशभर तालाबंदी करने की घोषणा की थी।
मुंबई. नीला पानी, साफ आसमान और खाली सड़कें... यह लॉकडाउन के दौरान की भारत की तस्वीर थी। 24 मार्च से 31 मई तक, एक राष्ट्र के रूप में भारत ने एक अभूतपूर्व पल का अनुभव एक साथ किया। और इसी अनोखे पल पर बनी है फिल्म 'उठेंगे हम'। ये फिल्म तैयारी की है भारत बाला और उनकी टीम ने। भारत बाला के 'उठेंगे हम' प्रोजेक्ट पर करीब 117 लोगों ने काम किया। यहां आपको ये बताना जरूरी है कि एआर रहमान का म्यूजिक वीडियो वंदे मातरम् और भारतीय सेना के साथ सियाचीन में बना जन गण मन म्यूजिक वीडियो के डायरेक्टर भी भारत बाला ही है।
कई शहरों में किया फिल्मांकन
शॉर्ट फिल्म 'उठेंगे हम' का फिल्मांकन देश के कई शहरों में किया गया। इसमें देश में हुए टोटल लॉकडाउन को बहुत ही बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। इसकी शुरुआत पीएम मोदी के भाषण से होती, जहां उन्होंने 24 मार्च की रात को देशभर तालाबंदी करने की घोषणा की थी। इसका समापन बेहद सरल तरीके से किया गया है। अंत में भारतीय तिरंगा हवा में लहराता नजर आ रहा है।
130 करोड़ लोग घरों में कैद
इस फिल्म में भारत के प्राकृतिक दृश्य, गंगा से पर्वत तक तो गांव से लेकर रेलवे स्टेशन को बहुत ही शानदार तरीके से दिखाया गया है। लॉकडाउन की अवधि में करीब 130 करोड़ लोग अपने घरों में कैद रहे और सभी ने मिलकर कोरोनावायरस के साथ लड़ाई लड़ी। भारत बाला की ये फिल्म आशा की एक कहानी है। इस फिल्म में करीब 14 राज्यों की स्थिति की को दिखाया गया है और इन्हें दिखाने के लिए टीम ने हजारों किलोमीटर की दूरी तय की। भारत को इस तरह से पहले कभी भी नहीं देखा गया।
एक संदेश देती है फिल्म
'उठेंगे हम' फिल्म एक संदेश भी दिखाती है, जो यह महसूस कराता है कि हर कोई क्या महसूस कर रहा है। फिल्म में दिखाया कि पता नहीं क्या हुआ, हमारा पूरा जीवन एक ही पल में बदल गया। लेकिन सूरत कल उगेगा और हम भी उसके साथ उठेंगे। यहीं एक आशा है वादा है क्योंकि आखिकार, यह एक ऐसी चीज है जो हमें आगे बढ़ाती है। 4 मिनट की यह फिल्म नमन है उस देश को जिसकी हिम्मत और होने के अहसास ने कभी हार नहीं मानी और इसके लोगों ने हमेशा आगे बढ़ते रहने की अपनी धुन मन में संजोए रखी।