पहली मुलाकात में इस एक्ट्रेस को दिल दे बैठे थे गुलजार, शादी के एक साल बाद ही हो गया था तलाक

'आंधी', 'मौसम', 'मिर्जा गालिब', जैसी फिल्‍मों का निर्देशन करने वाले गुलजार ने बॉलीवुड की कई फिल्‍मों के लिए गीत लिखे हैं। उनके इस योगदान के लिए उन्‍हें 2004 में पद्मभूषण से नवाजा गया था।

Asianet News Hindi | Published : Aug 18, 2019 4:35 AM IST

मुंबई. मशहूर गीतकार और शब्दों के जादूगर गुलजार ने 18 अगस्त रविवार को अपना 85वां जन्मदिन मनाया। पंजाब में सिख परिवार में जन्मे गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। उनका जन्म 18 अगस्त,1934 को हुआ था। गुलजार ने बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस राखी से लव मैरिज की थी। कहा जाता है कि इनकी मुलाकात बॉलीवुड की एक पार्टी में हुई थी, जिसमें इनके नैना चार हो गए थे। रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि जब दोनों ने शादी का फैसला लिया तो गुलजार ने उन्हें शादी के बाद फिल्मों में काम करने से मना कर दिया था, जिसका एक्ट्रेस ने उनसे वादा भी किया था। शादी के बाद के दोनों के घर बेटी मेघना ने जन्म लिया। हालांकि इसके बाद दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए थे।

ये थी वजह 

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राखी ने बताया था कि शादी से पहले काम ना करने का वादा किया था। उनके ऐसे भी विचार थे। लेकिन एक्ट्रेस का मानना था कि समय के साथ विचार भी बदलने चाहिए। उनके मन में हमेशा एक सवाल खड़ा होता था कि वो खाली समय में घर में क्या करें ? इसलिए उन्होंने सोचा कि खाली बैठने से अच्छा होगा कि वो चुनिंदा फिल्मों में काम करें और राखी ने काम करना शुरू कर दिया। यही कारण था, जिससे दोनों में झगड़े शुरू हुए और तलाक तक पहुंचे गए। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि लोगों ने राखी और गुलजार को बहुत समझाया लेकिन दोनों की अपनी-अपनी जिद थी। गुलजार का कहना था कि वे राखी को तभी स्वीकारेंगे जब वो फिल्मों से दूरियां बना लेंगी और राखी का कहना था कि वे कुछ चुनी हुई फिल्मों में काम करेंगी। इसी बात पर दोनों ने अपनी राहें अलग कर ली।

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं गुलजार

'आंधी', 'मौसम', 'मिर्जा गालिब', जैसी फिल्‍मों का निर्देशन करने वाले गुलजार ने बॉलीवुड की कई फिल्‍मों के लिए गीत लिखे हैं। उनके इस योगदान के लिए उन्‍हें 2004 में पद्मभूषण से नवाजा गया था। इसके अलावा वे 20 बार फिल्मफेयर और 5 बार राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। इसके साथ ही 2010 में उन्हें 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। वहीं गुलजार को प्रतिष्ठित दादा साहब फालके पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

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