कोरोना के डर से 28 साल के इंग्लिश टीचर ने लगा ली फांसी, PM के नाम लिखा सुसाइड नोट

यह घटना आपको चेतावनी देती है। कोरोना को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है। बल्कि सतर्कता रखने की है। कोरोना को हराया जा सकता है, बस लक्षण छुपाएं नहीं। झारखंड के गिरिडीह के रहने वाले 28 साल के एक इंग्लिश टीचर ने सिर्फ कोरोना के डर से फांसी लगा ली। खांसी और बुखार होने पर वो समझने लगा था कि उसे कोरोना हो गया है। युवक ने तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है। इसे प्रधानमंत्री के नाम लिखा गया है।

गिरिडीह, झारखंड. 28 साल के एक युवक को लगा कि उसे कोरोना हो गया है। संक्रमण के डर से वो लोगों से दूर रहने लगा। वो इतना डिप्रेशन में आया कि फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। यह घटना आपको चेतावनी देती है। कोरोना को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है। बल्कि सतर्कता रखने की है। कोरोना को हराया जा सकता है, बस लक्षण छुपाएं नहीं। मृतक सुरेश पंडित एक निजी स्कूल में इंग्लिश टीचर था। खांसी और बुखार होने पर वो समझने लगा था कि उसे कोरोना हो गया है। युवक ने तीन पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है। इसे प्रधानमंत्री के नाम लिखा गया है।

सुसाइड नोट में लिखा...

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युवक ने प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए तीन पन्नों का सुसाइड नोट लिखा है। उसने लिखा कि जब उसे बीमारी का अच्छे से एहसास हुआ, तब तक देरी हो चुकी थी। उसने लोगों को सतर्क करते हुए लिखा कि जैसे ही किसी को बुखार आए, बदन में दर्द हो, तो वो खुद को सबसे दूर कर ले। अगर वो ऐसा नहीं करेगा, तो फिर वापसी का कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।

भरकट्टा के रहने वाले युवक ने सुसाइड नोट में लिखा कि जैसे ही उसे आभास हुआ कि उसे कोरोना हो गया है, उसने खुद को सबसे अलग कर लिया था। युवक ने एक घटना का जिक्र किया है। लिखा है कि वो एक शादी में गया था। हो सकता है कि वहां संक्रमण लग गया हो।

मृतक ने सुसाइड नोट में प्रशासन और पुलिस से अनुरोध किया कि वो लोगों से अच्छा बर्ताव करे। लोगों को प्रताड़ित न करे। लोगों को अगर अपमानित किया, तो हालात बिगड़ सकते हैं।

डिप्रेशन में था युवक
मामला सामने आने के बाद गिरिडीह उपायुक्त राहुल सिन्हा ने बताया जांच के बाद सामने आया है कि युवक सरकारी नौकरी की उम्मीद को लेकर डिप्रेशन में आया गया था। फिर भी पूरे परिवार की स्क्रीनिंग कराई गई है। सभी स्वस्थ्य हैं। जांच में सामने आया है कि युवक को पहले टीबी हुआ था। उसका लंबे समय तक इलाज चला था। उसे फिर से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इसे वो कोरोना समझ बैठा।
 

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