भारत में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े कोरोना वैक्सीनेशन अभियान(corona vaccination campaign) को लेकर सोशल मीडिया पर कई भ्रामक खबरें(Fake News) आती रहती हैं। जैसे-फरवरी के अंत तक 50 लाख बिना इस्तेमाल हुईं कोविशील्ड खुराक बेकार हो सकती हैं। जानिए सच क्या है...
नई दिल्ली. मीडिया की कुछ खबरों में कहा गया है कि 'फरवरी के अंत तक 50 लाख बिना इस्तेमाल हुईं कोविशील्ड खुराक(Covishield vaccine) बेकार हो सकती हैं।' उन राज्यवार खुराकों की संख्या जिनकी समय सीमा समाप्त (एक्सपायरी) होने की तारीख के नजदीक होने का दावा किया गया है, के बारे में बिना किसी विशेष जानकारी की ऐसी खबरें प्रसारित की गई हैं। इस बीच राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 168.47 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं।
फर्स्ट एक्सपायरी फर्स्ट आउट
टीके की खुराक की बर्बादी कम से कम हो, कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत से ही केंद्र सरकार ने अपनी पूरी सक्रियता से सभी राज्य सरकारों को सलाह दी है कि वे इस मुद्दे की समीक्षा करें। इसके अलावा सभी 60 कंसाइनी प्वाइंट (खुराक पाने वाले केंद्र) पर टीके की समय सीमा समाप्त न हो, इसके लिए “फर्स्ट एक्सपायरी फर्स्ट आउट"यानी जिस खुराक की समय सीमा पहले समाप्त होने वाली है, उसे पहले लगाया जाए, के सिद्धांत का अनुपालन करने की सलाह दी गई है। नवंबर, 2021 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा था कि आने वाले महीनों में राज्यों को नियमित तौर पर निजी अस्पतालों में उपलब्ध कोविड टीकों की समय सीमा समाप्त होने की स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए।
राज्यों को दी गई है ये सलाह
राज्यों को यह भी सलाह दी गई थी कि सरकारी और निजी दोनों स्वास्थ्य केंद्रों में किसी भी टीके की समय सीमा समाप्त (एक्सपायर्ड) नहीं होने देना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को टीके की खुराक के उपयोग को देखने के लिए निजी अस्पतालों के साथ अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य)/प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) के स्तर पर एक त्वरित वीडियो-कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा सकती है। वहीं, राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे निजी अस्पतालों में सीएसआर के तहत टीका लगाए जाने/सब्सिडी दरों पर टीकाकरण जैसी पहल की कोशिश कर सकते हैं।
इसके अलावा विशेष राज्यों के अनुरोध पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि टीके की एक्सपायरी से बचने व यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसकी कोई खुराक बेकार न होने हो, उसे निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं (अस्पतालों) से राज्य सरकार के स्वास्थ्य केंद्रों के लिए विशेष आधार पर टीके के हस्तांतरण की प्रस्तावित व्यवस्था पर कोई आपत्ति नहीं है। कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इन हस्तांतरित किए गए टीकों की प्रविष्टि का प्रावधान उपलब्ध है। इसके अलावा इस बारे में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों के साथ भी चर्चा की गई, जिससे निजी कोविड टीकाकरण केंद्रों (सीवीसी) के लिए उपलब्ध कोविड टीकों के उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके।
टीकाकरण में धोखाधड़ी की खबरें भ्रामक
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की कुछ खबरों में "टीकाकरण धोखाधड़ी" के आरोप लगाए गए हैं और इनमें आगे दावा किया गया है कि दोनों खुराकें प्राप्त किए बिना ही लोगों को धोखे से दो बार टीका लगाने वालों के रूप में पंजीकृत किया गया है। इसके अलावा इन खबरों में यह भी आरोप लगाया गया है कि टीकाकरण के "आंकड़ों में गड़बड़ी की जा रही है।" यह स्पष्ट किया जाता है कि इस तरह की मीडिया रिपोर्ट न केवल भ्रामक, बल्कि पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद हैं।
जिन खबरों में इस तरह के आरोप लगाए गए हैं, उनकी हेडलाइन ही भ्रामक है। इसे लिखने वाले लेखकों को शायद इस बात की जानकारी नहीं है कि स्वास्थ्यकर्मी ही कोविन प्रणाली में टीकाकरण से संबंधित विवरण दर्ज करते हैं। इन लेखकों का दावा है कि डेटा को दर्ज करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने ही इन अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। यह इस बात को दिखाता है कि लेखकों को कोविन पर टीकाकरण केविवरण को दर्ज करने की प्रक्रियाओं की कोई समझ नहीं है।
कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म
वैश्विक स्तर पर भारत का राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण अभियान इस तरह का सबसे बड़ा अभियान है। यह कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म की एक मजबूत तकनीकी बैकअप के साथ समर्थित है। बीते एक साल से अधिक की अवधि में इसने कोविडटीकाकरण अभियान में असाधारण प्रदर्शन किया है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कोविड टीकाकरण के सभी विवरण दर्ज किए गए हैं।
कोविन प्रणाली एक समावेशी प्लेटफॉर्म/प्रणाली है। पूरे देश में मोबाइल और इंटरनेट की उपलब्धता की सीमाओं और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसे डिजाइन किया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भौतिक, डिजिटल या सामाजिक- आर्थिक बाधाओं के बिना हर एक योग्य व्यक्ति के पास टीकाकरण तक पहुंच हो, कोविनमें जरूरी सुविधाओं और लचीलेपन को शामिल किया गया है।
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