लॉकडाउन के बीच कमाल कर रहा 7 महीने पुराना स्टार्टअप, घर में रहकर भी खुद को फिट रख रहे हैं लोग

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में चुनौतियां हम सभी के लिए समान हैं। ऐसे समय में हमारे दिमाग में बस एक ही सवाल है कि हम खुद को और बेहतर कैसे बना सकते हैं? सही सोच और आगे बढ़ने के निश्चय के साथ हम मुश्किल हालातों में भी आगे आ सकते हैं। 

बेंगलुरू. भारत में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच सभी की नजरें आने वाले कल पर टिकी हुई हैं। सभी को भरोसा है कि जल्द ही यह महामारी खत्म होगी और सभी का जीवन सामान्य हो जाएगा, पर इस महामारी से देश में अब तक 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। दुनियाभर में लगातार हो रही मौतों को देखकर लोगों ने अपनी जीवनशैली में बदलाव किया है और घर के अंदर रहना ही पसंद कर रहे हैं। 

कोरोना का सामना करने के लिए हम पूरी तरह से घर के अंदर कैद हों, इससे पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि हमारी जिंदगी कई सारे खेल और शारीरिक गतिविधियां बिना किसी वजह के नहीं होती हैं। अचानक ही इन चीजों से दूरी बना लेना भी किसी नजरिए से उचित नही है। इन खेलों और शारीरिक गतिविधियों से हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। 

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फिटनेस और स्पोर्ट्स से जुड़ी कंपनियों के लिए यह समय चुनौती भरा है। लॉकडाउन के बीच इन कंपनियों को खुद को इस तरीके से ढालना है कि उनके बुनियादी मूल्य भी प्रभावित ना हों और इन हालातों में भी वो अपनी उपयोगिता साबित कर सकें। यह सच है कि हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता, पर हम किस नजरिए के साथ इन घटनाओं का सामना करते हैं उसी से हमारा भविष्य निर्धारित होता है। 

upugo.in भी एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है जो बच्चों और युवाओं को बड़े स्तर पर खेल और फिटनेस की कोचिंग देता है। इस कंपनी को भी ऐसी दुविधा का सामना करना पड़ा। upugo के फाउंडर अमित गुप्ता ने महसूस किया कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में शारीरिक गतिविधियां नहीं कराई जाती हैं। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया जो बच्चों और युवाओं को व्यक्तिगत रूप से ट्रेनर उपलब्ध कराता था। देश में खेलों की स्थिति पर और भी रसर्च करने के बाद यह बात भी सामने आई कि हमारे देश में स्पोर्ट्स सेंटर की खासी कमी है और जो सेंटर हैं भी उनकी हालत खस्ता है। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने upugo बनाया, ताकि देश में फिटनेस को बढ़ावा दिया जा सके। इसके जरिए उन बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक किया जा रहा है, जो अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क नहीं रहते हैं। 

गुप्ता ने कहा "हमने समाज के स्तर पर शुरुआत की, जिससे बच्चे अपने परिसर में अपनी सुविधा के अनुसार इन सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। कंपनी ने 6 महीने पहले अपना काम शुरू किया और काफी आसानी से काम कर रही थी।" 

कोरोना वायरस के देश में आते ही सब कुछ रुक गया। मार्च के महीने में कंपनी को अपनी सेवाएं रोकनी पड़ी क्योंकि कोई भी सोसायटी बाहर के लोगों को अपने परिसर में आने की इजाजत नहीं दे रही थी। अभी कंपनी अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम कर ही रही थी कि कोरोना का संक्रमण तेजी से पूरे देश में फैलने लगा और देश के हर कोने से कोरोना के मामले सामने आ चुके थे। जैसा कि कहते हैं आवश्यक्ता ही अविष्कार की जननी होती है, upugo ने भी डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए अपना काम पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया। 

गुप्ता ने कहा " बच्चों को खेलते और मजे करते देखना खुशी देने वाला पल होता है। खासकर जब वो ऐसा करके फिट भी हो रहे हों तो इस आनंद का कोई जवाब नहीं। ऐसे बिजनेस में होने का यह एक अलग फायदा है।" 

ऐसे समय में भी आप मजे करते हुए अपना बिजनेस कैसे चला सकते हैं ? 

मुश्किल हालातों ने upugo.in की टीम को सोचने पर मजबूर किया। इस समय कोविड19 एक आपदा के रूप में दुनिया के सामने आ रहा था। upugo.in की टीम ने अपने ऑफिस में इन 3 बातों का ध्यान रखा। 

1. हालातों को समझना और खुद को बचाने की बजाय और मजबूत करना 
इस टीम ने मुश्किल हालातों को एक मौके की तरह लेते हुए सर्वाइवल मोड में जाने की बजाय खुद को मजबूत करने का निर्णय लिया। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म में अपने ब्लूप्रिंट की संख्या बढ़ाई और शूटिंग एक्सप्लेनर, सिंपल डाइव जैसी चीजें शुरू की, ताकि ग्राहक फिटनेस वर्कआउट के टच में बने रहें और उनका ज्यादा नुकसान ना हो। 

2. चुस्ती, बदलाव का संकल्प
यदि आपसे घर के अंदर रहने की उम्मीद की जा रही है और आप लोगों को घर के बाहर नहीं ला सकते तो आपको अपनी सोच में पूरी तरह से बदलाव लाना पड़ता है। जब कंपनी को यह एहसास हुआ कि उसे बच्चों को घर के अंदर रखना है और उन्हें घर के अंदर ही फिट रखना है तो उसे अपने प्लान को पूरी तरह से बदलना पड़ा। कंपनी के संस्थापक ने बताया कि इससे वो हर जगह बच्चों तक पहुंच सकते थे और उन्हें फिट बना सकते थे। 

3. दूरदर्शिता 
सकारात्मक सोच हमेशा यह भरोसा रखती है कि संभावनाएं अनंत हैं और ऐसा लगता है कि यह टीम सही रास्ते पर थी। अमित गुप्ता ने बताया कि उन्होंने हालातों पर बहुत ज्यादा सोच विचार करके इस महामारी को दोष नहीं दिया, बल्कि उन्होंने लॉकडाउन के बीच फिटनेस की जरूरत को समझा और इसे हर व्यक्ति तक पहुंचाने के बारे में सोचा। मुश्किल हालातों में अधिकतर कंपनियों के साथ यही होता है, जिन कंपनियों के लीडर और मैनेजमेंट सकारात्मक सोच के साथ काम करते हैं वो मुश्किल से मुश्किल दौर में भी आसानी से काम कर लेती हैं, जबकि जिन कंपनियों में अच्छे लोगों की कमी होती है वह बड़ी आसानी से डूब जाती है। वहीं दूरदर्शी लोगों के साथ काम करने वाली कंपनियां ऐसे समय में निखर कर सामने आती हैं। 

उन्होंने आगे कहा "जब दुनियाभर से लाखों युवा इन प्लेटफॉर्म के जरिए खुद को हेल्दी और फिट रख रहे हैं। ऐसे समय में हम अपने उलझे हुए देश में बच्चों को फिट रखने की कोशिश कर रहे हैं। हमने कई लाइव सेशन किए, जूम सेशन किए और हमारे सोशल मीडिया ट्रैफिक में 300 से 400 फीसदी तक का इजाफा हुआ। सिर्फ ट्रैफिक ही नहीं सब्सक्राइबर और व्यूज में भी कई गुना वृद्धि हुई। यह सब कुछ मेरी टीम के बिना संभव नहीं था।"

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा में मुश्किल हालातों जैसी कोई चीज नहीं पढ़ाई जाती है। upugo का फिजिकल मॉडल पहले सिर्फ बेंगलुरू तक ही सीमित था, जबकि कोरोना के आने के बाद अमित गुप्ता के निश्चय ने इसे पूरे देश के लोगों तक पहुंचा दिया है। उनकी सीमाएं बड़ी हो चुकी हैं। अब upugo की क्लासेस फ्री हैं और लोग घर बैठे बड़ी आसानी से इसका फायदा ले रहे हैं। यह कंपनी जूम, इंस्टाग्राम और फेसबुक के जरिए लोगों तक पहुंच रही है और लगातार होने वाले सेशन सभी ग्राहकों को उनसे जोड़कर रखते हैं।    

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