बॉल पर लार लगाना पूरी तरह बैन, कोरोना की वजह से ICC को बदलने पड़े क्रिकेट के कई नियम

कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के कारण खेल जगत पर भी काफी असर पड़ा है। क्रिकेट मैच और दूसरे टूर्नामेंट बंद है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) को भी क्रिकेट के नियमों में बदलाव करना पड़ा है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 10, 2020 4:05 AM IST / Updated: Jun 10 2020, 10:52 AM IST

स्पोर्ट्स डेस्क। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के कारण खेल जगत पर भी काफी असर पड़ा है। क्रिकेट मैच और दूसरे टूर्नामेंट बंद है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) को भी क्रिकेट के नियमों में बदलाव करना पड़ा है। आईसीसी ने क्रिकेट के जिन नियमों में बदलाव किए हैं, वे क्रिकेट मैच दोबारा शुरू होने पर लागू होंगे। आईसीसी ने मैचों के दौरान गेंद को चमकाने के लिए सलाइवा के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मैचों में घरेलू अंपायरों को शामिल करने की मंजूरी दी गई है। नियमों में किए गए बदलाव के तहत अगर किसी खिलाड़ी को कोरोना का संक्रमण होता है, तो ऐसी स्थिति में उसकी जगह कोई और खिलाड़ी सब्सीट्यूट के रूप में खेल सकेगा।

टी20 और वनडे मैच में नहीं लागू होगा नियम
किसी खिलाड़ी को कोरोना संक्रमण होने पर उसके सब्सीट्यूट के खेलने की इजाजत सिर्फ टेस्ट मैच मे ही दी गई है। आईसीसीसी ने कहा है कि यह नियम टी20 और वनडे मैचों में लागू नहीं होगा। वहीं, गेंद को चमकाने के लिए सलाइवा के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

पहले दी जाएगी चेतावनी
आईसीसी ने कहा है कि अगर कोई खिलाड़ी पहली बार गेंद पर सलाइवा का इस्तेमाल करता पाया जाता है, तो अंपायर उसे राहत दे सकते हैं। अगर फिर भी वह ऐसा बार-बार करता है तो टीम को चेतावनी दी जाएगी। एक पारी में टीम को दो बार चेतावनी दी जाएगी, लेकिन यह हरकत दोहराई गई तो टीम पर 5 रनों की पेनल्टी लगाई जाएगी। इतना ही नहीं, गेंद पर जब भी सलाइवा लगाया जाएगा तो अंपायर को गेद साफ करनी पड़ेगी। 

तटस्थ अंपायर नहीं होंगे
आईसीसी ने नियमों में जो बदलाव किए हैं, उनके मुताबिक मैचों में तटस्थ अंपायर नहीं होंगे। उन्हें अस्थाई तौर पर हटा दिया गया है। आईसीसी अपने इलीट पैनल में से स्थानीय मैच अधिकारियों की नियुक्ति करेगी। इसके अलावा, हर पारी में अतिरिक्त डीआरएस रिव्यू की मंजूरी भी दी गई है। यह फैसला इसलिए किया गया है कि कई बार ऐसे मौके आ जाते हैं, जब कम अनुभवी अंपायर मैचों में अपनी सेवा देते हैं।   
 

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