सहवाग ने इस पूर्व कप्तान को मुख्य चयनकर्ता बनाने की सिफारिश की, कहा- BCCI को सैलरी बढ़ाने की जरूरत

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अनिल कुंबले को टीम इंडिया का मुख्य चयनकर्ता बनाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि कुंबले की साथी खिलाड़ियों में आत्मविश्वास बढ़ाने की खूबी उन्हें मुख्य चयनकर्ता का प्रबल दावेदार बनाती है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 21, 2019 11:16 AM IST

नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अनिल कुंबले को टीम इंडिया का मुख्य चयनकर्ता बनाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि कुंबले की साथी खिलाड़ियों में आत्मविश्वास बढ़ाने की खूबी उन्हें मुख्य चयनकर्ता का प्रबल दावेदार बनाती है। सहवाग ने कहा कि बीसीसीआई को चयन समिति को ज्यादा भुगतान करने की जरूरत है। 

मौजूदा चयनसमिति और उसके प्रमुख एमएसके प्रसाद पर कम अनुभव का आरोप लगता आया है। समिति के पास सिर्फ 13 टेस्ट खेलने का अनुभव है। हाल ही में वर्ल्डकप में भारत को मिली हार के बाद टीम के चयन पर सवाल उठे थे। अंबाती रायडू की जगह विजय शंकर का चयन करने को लेकर भी उनकी काफी आलोचना हुई थी। 
 
'कुंबले ने युवाओं से भी काफी संवाद किया'
सहवाग ने कहा, ''मुझे लगता है कि मुख्य चयनकर्ता पद के लिए कुंबले उपयुक्त उम्मीदवार हैं। उन्होंने बतौर खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों से बातचीत की है। इसके अलावा कोच रहते उन्होंने युवाओं के साथ भी काफी संवाद किया।'' सलामी बल्लेबाज ने बताया, ''ऑस्ट्रेलिया सीरीज 2007-08 में मैंने जब कमबैक किया था, तब कुंबले कप्तान थे। वे मेरे कमरे में आए और उन्होंने कहा कि मुझे अगली दो सीरीज तक बाहर नहीं किया जाएगा। इसी तरह के भरोसे की एक खिलाड़ी को जरूरत होती है।''

चयनकर्ता पद के लिए राजी नहीं होंगे कुंबले- सहवाग
सहवाग ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कुंबले इस पद के लिए राजी होंगे। क्योंकि मुख्य चयनकर्ता को सलाना 1 करोड़ रुपए का भुगतान होता है। इसलिए बीसीसीआई को यह रकम बढ़ानी चाहिए, जिससे खिलाड़ी इसके लिए राजी हों। 

मुझे पाबंदियां पसंद नहीं- सहवाग
जब सहवाग से पूछा गया कि क्या वे भारतीय टीम के चयनकर्ता बनेंगे। तो इस पर सहवाग ने कहा, मुझे पाबंदियां पसंद नहीं। मैं कॉलम लिखता हूं, टीवी पर आता हूं। लेकिन सिलेक्टर बनने का अर्थ है कई पाबंदिया। मुझे नहीं लगता कि मैं इतनी पाबंदियों में काम कर सकता हूं।

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