दुनिया के सबसे उम्रदराज फर्स्ट क्लास श्रेणी के क्रिकेटर का निधन, BCCI ने जताया दुःख

Published : Jun 13, 2020, 12:56 PM IST
दुनिया के सबसे उम्रदराज फर्स्ट क्लास श्रेणी के क्रिकेटर का निधन, BCCI ने जताया दुःख

सार

दुनिया के सबसे उम्रदराज फर्स्ट क्लास क्रिकेटर वसंत रायजी का शनिवार तड़के मुंबई में निधन हो गया। वे 100 साल के थे। उनके दामाद सुदर्शन नानावटी ने मौत की पुष्टि की है। उनका अंतिम संस्कार दक्षिण मुंबई के चंदनवाड़ी श्मशान में होगा।

मुंबई. दुनिया के सबसे उम्रदराज फर्स्ट क्लास क्रिकेटर वसंत रायजी का शनिवार तड़के मुंबई में निधन हो गया। वे 100 साल के थे। उनके दामाद सुदर्शन नानावटी ने मौत की पुष्टि की है। उनका अंतिम संस्कार दक्षिण मुंबई के चंदनवाड़ी श्मशान में होगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(BCCI) ने भी उनकी मौत पर दुख जताया है। वसंत रायजी की मौत पर सचिन तेंदुलकर ने भी ट्वीट कर दुख जताया है। उन्होंने लिखा, मैं इस साल की शुरुआत में वसंत रायजी का 100वां जन्मदिन मनाने के लिए उनके घर गया था। खेल के लिए उनका जोश और जुनून देखने लायक था। उनके निधन से मैं दुखी हूं। 

इस साल 26 जनवरी को उन्होंने अपना 100वां जन्मदिन मनाया था। इस मौके पर सचिन तेंदुलकर और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ केक लेकर उनके घर गए थे। इस मुलाकात के बाद सचिन ने ट्वीट किया था, ‘‘आपको 100वें जन्मदिन की शुभकामना। स्टीव और मैंने आपके साथ शानदार समय बिताया। आपसे क्रिकेट की पुरानी कहानियां सुनकर बहुत मजा आया। क्रिकेट का अनमोल खजाना हम तक पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया।’’

बीते मार्च में ही बने थे दुनिया के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी 
इसी साल 7 मार्च को इंग्लैंड काउंटी टीम हैम्पशर के जॉन मैनर्स की मौत के बाद वसंत रायजी दुनिया के सबसे उम्रदराज फर्स्ट क्लास क्रिकेटर हो गए थे। मैनर्स की 106 साल की उम्र में मौत हुई थी।फरवरी 2016 में बीके गरुड़ाछर की मौत के बाद रायजी भारत के सबसे उम्रदराज फर्स्ट क्लास क्रिकेटर बने थे।दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 40 के दशक में 9 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे। इस दौरान उन्होंने 277 रन बनाए थे और उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 68 था।

1941 में मुंबई की तरफ से पहला मैच खेला था 
रायजी ने 1939 में क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया के लिए डेब्यू किया था। इसके दो साल बाद उन्होंने मुंबई की तरफ से वेस्टर्न इंडिया के खिलाफ पहला मैच खेला। तब विजय मर्चेंट टीम के कप्तान थे। रायजी क्रिकेट इतिहासकार होने के साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंट भी थे। भारत ने जब 1933 में बॉम्बे में अपना पहला घरेलू टेस्ट खेला था। तब रायजी 13 साल के थे। 
 

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