करावल नगर सीट: कैंडिडेट बदलने का आप को हुआ नुकसान, बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने दर्ज की जीत

Published : Jan 28, 2020, 11:08 AM ISTUpdated : Feb 11, 2020, 05:53 PM IST
करावल नगर सीट: कैंडिडेट बदलने का आप को हुआ नुकसान, बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने दर्ज की जीत

सार

दिल्ली विधानसभा की करावल नगर सीट (Karawal Nagar assembly constituency) सामान्य है। इसे 1993 में बनाया गया था। यह नार्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। बीजेपी के कैंडिडेट 5 बार इस सीट से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा की करावल नगर सीट (Karawal Nagar assembly constituency) सामान्य है। इसे 1993 में बनाया गया था। यह नार्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। बीजेपी के कैंडिडेट 5 बार इस सीट से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने जीत दर्ज की। जबकि दूसरे नंबर पर आप के दुर्गेश पाठक रहे। बता दें, आप ने इस बार वर्तमान विधायक कपिल मिश्रा की जगह दुर्गेश को टिकट दिया था, जिसका उसे नुकसान उठाना पड़ा। 

पहली बार बीजेपी ने दी थी कांग्रेस को मात
साल 1993 में बनी इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच था। जिसपर बीजेपी के राम पाल ने कांग्रेस के कल्याण सिंह को 5,506 वोट से हराया था। राम पाल को कुल 18,322 और कल्याण को 12,816 वोट मिले थे। 

आप ने बीजेपी से छीन ली थी ये सीट
1993 से इस सीट पर बीजेपी का राज था, जिसे 2015 में आप ने छीन लिया। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मोहन सिंह ने 49,262 वोट के साथ जीत दर्ज की थी। जबकि आप के कपिल मिश्रा 46,179 वोटों के साथ दूसरे नंबर और कांग्रेस के बेगराज सिंह 20,950 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। 2015 में आप ने कपिल मिश्रा को दोबारा मौका दिया और उन्होंने 1,01865 वोटों के साथ जीत दर्ज की। जबकि बीजेपी के मोहन सिंह को 57,434 और कांग्रेस के सतन पाल को 5,362 वोट से संतोष करना पड़ा।

करावल नगर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में स्थित है। यह हाल ही में विकसित हुआ एक आवासीय इलाका है। पहले यह एक गांव था। यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। यहां आवागमन की उतनी अच्छी सुविधा नहीं है। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। यह मंदिर करीब 100 साल पुराना बताया जाता है। यहां सोमवार और शनिवार को भक्तों की ज्यादा भीड़ होती है। करावल नगर के निवासियों ने चंदा जुटा कर इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया और इसे भव्य स्वरूप दिया है। 
 

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