जनवरी में ही निर्भया के दोषियों की फांसी का फरमान भी जारी हुआ है। देशभर में इस फैसले पर खुशी की लहर थी। निर्भया की मां आशा देवी की इस लड़ाई को लोगों ने सलाम किया। तो पार्टियां भी उनकी पॉप्युलैरिटी को भुनाने की कोशिश कर रही हैं।
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप केस में पीड़िता को को 7 साल बाद न्याय मिल ही गया। इस पूरी लड़ाई को एक मां ने अपनी बेटी के लिए लड़ा है। निर्भया की मां आशा देवी के जज्बे को देश ने सलाम किया है। अब दिल्ली चुनाव में पार्टियां उनमें अपना भावी उम्मीदवार देख रही हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में आशा देवी को टिकट देकर मैदान में उतारने की योजना बनाई जा रही है।
जैसा कि दिल्ली चुनाव घोषित हो चुके हैं। 8 फरवरी में वोटिंग होनी है और 11 को नतीजे आएंगे। वहीं जनवरी में ही निर्भया के दोषियों की फांसी का फरमान भी जारी हुआ है। देशभर में इस फैसले पर खुशी की लहर थी। निर्भया की मां आशा देवी की इस लड़ाई को लोगों ने सलाम किया। तो पार्टियां भी उनकी पॉप्युलैरिटी को भुनाने की कोशिश कर रही हैं।
जुझारू शख्सियत
आशा देवी उत्तर प्रदेश के बलिया से हैं। उन्होंने बेटी के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ दिल्ली में लंबी लड़ाई लड़ी है। वह एक जुझारू शख्सियत हैं। ऐसे में सभी राजनैतिक पार्टियों को अंदाजा है कि निर्भया की मां इस विधानसभा चुनाव में एक जिताऊ प्रत्याशी साबित हो सकती हैं। इसलिए आशा देवी को टिकट दिए जाने की अटकलें बढ़ रही हैं। हालांकि, राजनैतिक पार्टियां अभी खुलकर इस पर नहीं बोल रही हैं।
आशा देवी ने अटकलों को किया खारिज
दूसरी ओर निर्भया की मां का कहना है कि उनका पहला मकसद अपनी बेटी के दरिंदों को फांसी के तख्ते पर झूलते हुए देखना है। उसके बाद अगर कोई चुनाव लड़ने की बात आएगी तो देखा जाएगा। मतलब साफ है आशा देवी भी चुनावी मैदान में दांव आजमा सकती हैं।
ये पार्टियां चुन सकती हैं अपना प्रत्याशी
भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने तर्क देते हुए बताया कि जो महिला इतनी जद्दोजहद करके अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ सकती है, उससे बढ़कर समाज में संघर्ष करने वाली महिला का जीता-जागता उदाहरण और क्या हो सकता है। इसलिए राजनैतिक पार्टियों की कोशिश है कि इस चुनाव में निर्भया की मां से बात कर उन्हें मैदान में उतारे। निर्भया को लेकर बने माहौल में पार्टियां आशा देवी को चुनाव में दमदार चेहरा बनाकर उतारना चाहती हैं।
बस आशा देवी की हां का इंतजार
भाजपा से लेकर कांग्रेस और आप सूत्रों का कहना है कि उनकी कोशिश है अगर निर्भया की मां चुनाव के लिए हां कर देती हैं तो न सिर्फ वह जिताऊ प्रत्याशी होंगी बल्कि उनकी पार्टी के लिए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में कुछ सीटों पर अच्छा सकारात्मक असर भी डाल सकेंगी, जिससे सीटों की संख्या बढ़ सकती है।