बिलकिस बानो गैंग रेप-2002 मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में एकबड़ा राजनीतिक और चुनावी चर्चा का हिस्सा बन गई है। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र(manifesto) में इस घटना का जिक्र किया है और पीड़िता को न्याय दिलाने का संकल्प लिया है।
अहमदाबाद. बिलकिस बानो गैंग रेप-2002 मामले(2002 Bilkis Bano gangrape case) में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव(gujarat assembly election 2022) में एक बड़ा राजनीतिक और चुनावी चर्चा का हिस्सा बन गई है। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र(manifesto) में इस घटना का जिक्र किया है और पीड़िता को न्याय दिलाने का संकल्प लिया है। जानिए पूरी डिटेल्स...
आब्जर्वर्स और कार्यकर्ताओं के एक वर्ग को लगता है कि 20 साल पुराने मुद्दे और ताजा घटनाक्रम से विपक्षी पार्टी को वोट हासिल करने में मदद मिलेगी, जबकि अन्य का मानना है कि 1 और 5 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ दिन पहले जारी किए गए अपने चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहा कि वह राज्य सरकार द्वारा उन 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर देगी, जिन्हें 2008 में मुंबई की एक अदालत द्वारा बिलकिस बानो मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इन सभी 11 दोषियों को माफी दिए जाने के बाद15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था।
बिलकिस बानो आदिवासी बहुल दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली हैं। यह लिमखेड़ा विधानसभा सीट के अंतर्गत आता है, जो वर्तमान में सत्तारूढ़ भाजपा के पास है। दोषियों को दी गई राहत का विरोध करने वाले एक चर्चित सोशल एक्टिविस्ट कलीम सिद्दीकी ने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस के रुख ने मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में एकत्रित कर लिया है। वहीं, मुस्लिम मतदाताओं को आम आदमी पार्टी (AAP) और इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के पास जाने से रोक लिया है। AIMIM का नेतृत्व लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी करते हैं।
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी इस मामले में सबसे मुखर आवाजों में से एक रहे हैं। वे कहते हैं कि हालांकि अल्पसंख्यकों को आश्वस्त करने के लिए पार्टी का रुख आवश्यक था, लेकिन यह वोट नहीं ला सकता है, क्योंकि इस मुद्दे को राजनीतिक या चुनावी लाभ लेने के लिए नहीं उठाया गया था। हालांकि, दोनों यानी कलीम सिद्धीकी और मेवाणी का मानना है कि दोषियों की जल्द रिहाई गुजरात में प्रमुख चुनावी मुद्दा नहीं है। सिद्दीकी के अनुसार, छूट के मुद्दे का प्रभाव (जो अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है) पंचमहल और दाहोद जिलों में अधिक महसूस किया जाएगा, जहां मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। सिद्धीकी ने कहा-"जिस तरह जिग्नेश मेवाणी ने इस मुद्दे को उठाया था, यहां तक कि राहुल गांधी की उपस्थिति में भी मुसलमानों के बीच एक भावना पैदा की गई थी कि कम से कम किसी ने उनकी चिंता को उठाया है। हालांकि, हिंदू इसे एक सांप्रदायिक कोण से देखते हैं।
सितंबर में सिद्दीकी और अन्य कार्यकर्ताओं ने दोषियों की जल्द रिहाई के विरोध में अहमदाबाद में रंधिकपुर से साबरमती आश्रम तक 'बिलकिस बानो माफी पदयात्रा' का आयोजन किया था। हालांकि, यात्रा पूरी नहीं की जा सकी, क्योंकि आयोजकों ने प्रशासन ने अनुमति नहीं ली थी। कलीम ने कहा-"चूंकि आम आदमी पार्टी के नेता चुप रहे और गुजरात में इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से परहेज किया, इससे आम मुसलमान सतर्क हो गए। उन्होंने महसूस किया कि कई खामियां होने के बावजूद कांग्रेस अभी भी उनके साथ खड़ी है। क्योंकि इस मुद्दे पर केवल कांग्रेस नेताओं ने ही राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीयस्तर पर खुले तौर पर भाजपा की आलोचना की है।"
कलीम के मुताबिक स्थानीय मुसलमान कांग्रेस की तरह कुछ भी ठोस न कर पाने के कारण एआईएमआईएम से नाखुश हैं। उन्होंने कहा-"पहले यह माना जाता था कि मुस्लिम वोट AAP और AIMIM के बीच विभाजित हो जाएंगे। यहां तक कि मुस्लिम भी AAP को पार्टी की पेशकश के लिए वोट देने पर विचार कर रहे थे। लेकिन, इस (छूट) मुद्दे ने वास्तव में कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिमों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब, मुसलमानों के बीच इस चुनाव में किसे चुनना है, इस पर अधिक स्पष्टता है। "
कांग्रेस ने कही ये बातदोषियों की समय से पहले रिहाई के लिए बार-बार राज्य की भाजपा सरकार पर हमला करने वाले मेवाणी मानते हैं कि आम नागरिक ऐसे मुद्दों से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते हैं। उन्होंने कहा, ''विश्वास से नहीं कह सकता कि इस मामले से हमें वोट मिलेंगे। और हमारे लिए यह मुद्दा किसी को न्याय दिलाने का है, न कि चुनाव के दौरान राजनीतिक फायदा उठाने का।
दलित कार्यकर्ता और विधायक ने कहा, "जिस तरह से मैंने और राहुल गांधी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर सहित अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए थे, कांग्रेस के कोर वोटर को कम से कम यह आश्वासन मिला कि हम दलितों और मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बोलते हैं। और अब, यह मुद्दा चुनावी घोषणापत्र का भी हिस्सा है।" हालांकि, लिमखेड़ा में रहने वाले लोगों का दावा है कि मीडिया में जो दिखाया जा रहा है, जमीनी स्थिति उससे बिल्कुल अलग है।
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