Gujarat Assembly Election 2022: आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईएम के कुछ नेताओं को गुजरात विधानसभा चुनाव में हार का डर अभी से सता रहा है। ऐसे नेताओं ने पार्टी हाईकमान को पत्र लिखकर कुछ सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने का आग्रह किया है।
गांधीनगर। गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईएम भी किस्मत आजम रही है। पार्टी ने करीब दो दर्जन सीट पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। हालांकि, मुस्लिम नेतृत्व वाली इस पार्टी को राज्य के मुस्लिम बहुल सीटों पर ही हार का डर सता रहा है। यह डर किसी और ने नहीं बल्कि, राज्य में एआईएमआईएम के नेताओं ने जाहिर किया है। कुछ नेताओं ने तो बात नहीं मानने पर पार्टी में विद्रोह और टूट की आशंका भी जाहिर की है। वैसे, वरिष्ठ नेताओं ने ऐसी किसी बात से इंकार करते हुए इन चिंताओं को बेकार बताया और सलाह दी है कि इस तरह की बात सार्वजनिक करने के बजाय पार्टी मंच पर रखें तथा पार्टी को अपने हिसाब से फैसले लेने दें।
हालांकि, राज्य में पार्टी के कुछ नेताओं का दावा है कि पार्टी की स्थिति गुजरात में कई जगह काफी कमजोर है। इनमें मुस्लिम बहुल कुछ सीटें भी शामिल हैं। ऐसे में गुजरात यूनिट के नेताओं ने आलाकमान से कहा है कि ऐसी कमजोर सीटों पर प्रत्याशियों को नहीं उतारना ही ठीक रहेगा। नेताओं ने अपनी दलील में कहा है कि अगर इन सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर पार्टी चुनावी मैदान में उतरती है, तो हारने की आशंका रहेगी और भाजपा को इसका लाभ सबसे ज्यादा मिलेगा।
फैसल सुजैल ने प्रदेश यूनिट को लिखा पत्र
गुजरात यूनिट के नेताओं ने पार्टी आलाकमान से आग्रह किया है कि राज्य विधानसभा चुनाव में सिर्फ उन्हीं सीटों पर फोकस किया जाए, जहां उम्मीद है कि पार्टी मजबूत है और सीट निकल जाएगी। इससे नेता एकजुट होकर इन सीटों पर अपनी पूरी ताकत से प्रचार-प्रसार करेंगे। गोधरा नगर पालिका में पार्षद और एआईएमआईएम नेता फैसल सुजैल ने भी इस बारे में गुजरात यूनिट को पत्र लिखकर अपनी चिंता जाहिर की है।
अगली बार के चुनाव की तैयारी अभी से करें
फैसल ने पत्र में लिखा है कि गोधरा सदर सीट से पार्टी किसी प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारे। यहां जीतने की गुंजाइश कम है और अधिकृत उम्मीदवार उतारने पर भाजपा जैसे राजनीतिक विरोधी को फायदा अधिक होगा। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि पार्टी इस बार के बजाय अगले विधानसभा चुनाव यानी 2027 के इलेक्शन में अभी से जुट जाए। उन्होंने यह चिंता भी जाहिर की है कि अगर पार्टी किसी को मैदान में उतारती है, तो विद्रोह का खतरा बढ़ेगा और यहां से पार्टी टूट भी सकती है।
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