Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में कैसा है जातीय गणित, किस बिरादरी का दबदबा, कौन है किस पर भारी

Published : Jun 23, 2022, 02:08 PM IST
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में कैसा है जातीय गणित, किस बिरादरी का दबदबा, कौन है किस पर भारी

सार

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Election 2022) की सरगर्मियों के बीच राज्य की राजनीति में जातियों के समीकरण भी फिट किए जा रहे हैं। सभी पार्टियां जातियों पर फोकस कर रही हैं और टिकट बंटवारे में भी यह फैक्टर कारगर होता है।   

अहमदाबाद. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी राजनैतिक पार्टियां कमर कस चुकी हैं। लेकिन इतना तय है कि विधानसभा चुनाव इस बार भी जातीय समीकरण के आधार पर लड़ा जाएगा। गुजरात में जातिगत समीकरण की बात करें यहां का समीकरण दूसरे राज्यों से अलग है। इसका कारण है कि गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी समुदाय के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा करीब 52 फीसदी है। गुजरात में ओबीसी वर्ग में कुल 146 जातियां शामिल हैं, जो राज्य की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाती हैं।

सवर्ण मतदाताओं की संख्या सबसे कम
गुजरात की कुल आबादी 6 करोड़ से ज्यादा है। इसमें 52 फीसदी संख्या पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की है। पिछड़ा वर्ग में शामिल 146 जातियां-उपजातियां ही तय करती हैं कि राज्य की सत्ता किसके हाथ में रहेगी। राज्य में सवर्ण मतदाताओं की संख्या सबसे कम है। माना जाता है कि राज्य में सबसे प्रभावी पाटीदार बिरादरी यानी कि पटेल समुदाय की हिस्सेदारी 16 फीसदी है, जिसे राज्य में सबसे ताकतवर जाति माना जाता है। लगभग 16 प्रतिशत संख्या क्षत्रिय वर्ग की और दलितों की संख्या मात्र 7 फीसदी ही है। 

गुजरात में जातियों की संख्या प्रतिशत में 
गुजरात विधानसभा चुनाव में जातिगत राजनीति की बात करें तो महत्वपूर्ण पाटीदार बिरादरी को साधने के लिए बीजेपी ने हार्दिक पटेल को अपने खेमे में मिला लिया है, जिससे माना जा रहा है कि पाटीदार पटेलों को वोट बीजेपी को जा सकता है। राज्य में कुल ओबीसी 52 प्रतिशत हैं। वहीं क्षत्रिय 16 प्रतिशत, पाटीदार 16 प्रतिशत, दलित 7 प्रतिशत, आदिवासी समुदाय 11 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 9 प्रतिशत हैं। वहीं ब्राह्मण, बनिया, कायस्थ को मिलाकर कुल 5 प्रतिशत मतदाता हैं। 

सबसे ताकतवर हैं पाटीदार
माना जाता है कि पाटीदार समाज गुजरात में राजनीतिक तौर पर सबसे ताकतवर समुदाय है। हार्दिक पटेल को भाजपा में लेने के बीछे बीजेपी की यही रणनीति है कि पाटीदारों को वोट उन्हें मिलता रहे। पाटीदार समाज के नेताओं की बात करें तो सरदार बल्लभ भाई पटेल से लेकर केशुभाई पटेल, चिमनभाई पटेल, आनंदीबेन पटेल जैसे नाम गुजरात की राजनीति में बड़े चेहरे हैं। वहीं युवा हार्दिक पटेल भी इसी पाटीदार बिरादरी से आते हैं। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक एक साल पहले भाजपा ने पाटीदार नेता भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया। वहीं अब बड़े नेता हार्दिक पटेल को भी अपने खेमे में शामिल कर लिया है।

टिकट बंटवारे में भी वरीयता
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 की बात करें तो भाजपा ने पाटीदार समाज के 50 लोगों को टिकट दिया था। वहीं कांग्रेस ने 41 टिकट पाटीदार बिरादरी को दिए थे। भाजपा ने कुल 58 फीसदी टिकट ओबीसी उम्मीदवारों को दिए थे। जबकि कांग्रेस ने 62 फीसदी टिकट ओबीसी समुदाय के कैंडिडेट को दिए। भाजपा ने 14 दलितों को टिकट दिया था, वहीं कांग्रेस ने 13 दलितों को मैदान में उतारा था। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में भी टिकट बंटवारे के दौरान कास्ट फैक्टर प्रभावी रहेगा। 

गुजरात में किस जाति के कितने वोट
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में जाति फैक्टर कितना काम करेगा, यह वोटों की संख्या से भी समझा जा सकता है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान ओबीसी के कुल 1.28 करोड़ मतदाता थे। इसमें ठाकोर, कोली, सुथार, दर्जी जैसी कई जातियां शामिल हैं। वहीं सबसे अधिक मतदाता पाटीदार जाति के ही हैं। जबकि ब्राह्मण और जैन मतदाताओं की संख्या 47 लाख है। इसके अलावा 51 लाख आदिवासी मतदाता हैं। जबकि दलित मतदाताओं की संख्या 30.69 लाख थी। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब 41 लाख है। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में वोटों की यह संख्या बढ़ जाएगी। 

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