नड्डा के गृह जनपद की सीट पर रोचक है मुकाबला.. BJP और कांग्रेस दोनों में बागी बिगाड़ रहे खेल! 

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिले बिलासपुर में इस बार मौजूदा विधायक ही भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। यह हाल तब है, जब नड्डा ने खुद बागियों को मनाने की कमान संभाली हुई है। 

Asianet News Hindi | / Updated: Nov 02 2022, 07:59 PM IST

शिमला। Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बागियों से निपटने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद कमान संभाली हुई है। कई विधानसभा सीट पर वे बागियों को मनाने में सफल भी हुए हैं, जिनमें महेश्वर सिंह का नाम प्रमुख है, मगर नड्डा खुद अपने गृह जनपद में बागियों को नहीं मना पाए हैं। हालांकि, बागियों से अकेले भाजपा ने जूझ रही बल्कि, इस सीट पर कांग्रेस को भितरघात का डर सता रहा है और ऐसे में मुकाबला काफी रोचक हो गया है। यह सीट है बिलासपुर, जिसे बिलासपुर सदर के नाम से भी जानते हैं। 

नड्डा कभी इस सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, जीते और विधानसभा में  नेता प्रतिपक्ष भी रहे और मंत्री भी। इस बार वे प्रत्याशी नहीं है बल्कि, भाजपा ने यहां से त्रिलोक सिंह जम्वाल को टिकट दिया है, मगर भाजपा के ही एक कद्दावर नेता सुभाष ठाकुर इस बार खुद इस सीट से टिकट चाहते थे और जब पार्टी ने ना बोल दिया, तो वे निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ही मैदान में  उतर गए। दरअसल, सुभाष ठाकुर यहां से विधायक भी हैं। 2017 का चुनाव उन्होंने भाजपा के चिन्ह पर ही  लड़ा था, मगर पार्टी ने इस बार उनकी जगह त्रिलोक को खड़ा करने का मन बनाया। 

12 नवंबर को वोटिंग, 8 दिसंबर को मतगणना   
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में नामांकन और नाम वापसी का दौर पूरा हो चुका है। यहां 68 विधानसभा सीटों के लिए कुल 786 उम्मीदवार ने पर्चा भरा था। मगर 589 प्रत्याशियों का पर्चा स्वीकृत हुआ, जबकि 84 के पर्चे रिजेक्ट हो गए। वहीं 113 ने उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया था। इस बार एक चरण में वोटिंग होगी। चुनाव प्रचार अभियान 10 नवंबर को शाम पांच बजे खत्म हो जाएगा। इसके बाद मतदान 12 नवंबर को है, जबकि मतगणना 8 दिसंबर को होगी। इसमें भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ इस बार आम आदमी पार्टी ने भी सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। 

कभी एकसाथ होते थे और आज आमने-सामने 
भाजपा के लिए सुभाष ठाकुर का इस सीट से खड़े होना कम मुसीबत नहीं है, क्योंकि सुभाष ठाकुर राजनीति के मंझे हुए और पुराने खिलाड़ी हैं। हालांकि, भाजपा ने जिन त्रिलोक जम्वाल को टिकट दिया है, वे भी यहां के पुराने नेता हैं और छात्र राजनीति में त्रिलोक और सुभाष कभी साथ-साथ होते थे। मगर इस बार विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आ गए हैं। नड्डा ने काफी कोशिश की कि सुभाष को मना लिया जाए, मगर वे यहां सफल नहीं हुए। 

तिलकराज मान तो गए, मगर न प्रचार कर रहे और न ही सामने आ रहे 
वहीं, कांग्रेस ने बंबर सिंह ठाकुर को यहां से प्रत्याशी बनाया है। हालांकि, बंबर की राह भी आसान नहीं है। पार्टी ने उन्हें टिकट दिया तो यहां से पूर्व विधायक तिलकराज भी सामने आ गए और टिकट के दावेदार बन गए। काफी मान-मनौव्वल के बाद वे मान तो गए, मगर अब न प्रचार कर रहे हैं और न ही सामने आ रहे हैं। पार्टी को आशंका है कि कहीं वे बंबर के लिए मुसीबत न जाएं और उनका भितरघात भाजपा को फायदा न पहुंचा दे। कांग्रेस का काफी वोट शेयर आम आदमी पार्टी भी काट रही, ऐसे में वह चाहती है कि वोटिंग वाले दिन से पहले तक सब ठीक कर लिया जाए। 

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