
अक्षय कुमार की मानें तो जब वे 7वीं क्लास में थे, तब फेल हो गए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि घर में उन्हें पापा के थप्पड़ खाने पड़े। अक्षय ने यह खुलासा हाल ही में रजत शर्मा के शो 'आपकी अदालत' में किया। इस दौरान अक्षय ने यह भी बताया कि वे आर्मी में क्यों नहीं जा सके। जबकि उनके पिता हरि ओम भाटिया आर्मी में थे। अक्षय कुमार कहते हैं, "मेरे फादर आर्मी में थे और मेरी कोशिश भी यही कि मैं भी सेना में आऊं। लेकिन मैं इतना ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाया।" अक्षय कहते हैं कि वे एयरफोर्स और नेवी में भी जाना चाहते थे, लेकिन उनका ज्यादा पढ़-लिख ना पाना उनके इस रास्ते की रुकावट बन गया।
अक्षय के मुताबिक़, उनका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। जबकि उनके पिता बेहद इंटेलिजेंट थे। बकौल अक्षय, "पापा इतने समझदार थे कि कहते थे बेटा 12वीं तक पढ़ ले। उसके बाद जो बोलेगा, वो करेंगे।" अक्षय कहते हैं कि उस वक्त वे ब्रूस ली की फ़िल्में बहुत ज्यादा देखते थे, जिसके चलते मार्शल आर्ट में उनकी रुचि जागी और यह सीखने के लिए बैंकाक चले गए। वहां वे मेट्रो गेस्ट हाउस नाम के छोटे से ढाबे में सुबह से शाम तक वेटर का काम करते और रात में मार्शल आर्ट सीखते थे। तीन-चार साल तक वहां उन्होंने मार्शल आर्ट सीखी और फिर भारत आकर यह औरों को सिखाने लगे। इसी दौरान एक स्टूडेंट के पिता ने उन्हें मॉडलिंग की सलाह दी थी, जो खुद मॉडल को-ऑर्डिनेटर थे। अक्षय कहते हैं,
उन्होंने कहा कि तू फलां-फलां जगह जाकर यह कर। मैं कोलाबा साइड हूं, तू वहां आजा। मुझे याद है कि मैं नोबिलिटी फर्निशिंग शोरूम का मॉडल बना। उसके लिए मुझे 21 हज़ार रुपए मिले थे। तो मैंने ये देखा की करीब दो घंटे मैं एसी रूम में बैठा हूं। साथ में एक मॉडल आ जाती है, जिसका नाम सोनिया था। वह आती है। यहां देखना है, फिर वहां देखना है। फिर कुर्सी पर हाथ लगाना है, फिर उसको देखना है। फिर वो बाजू में आकर बैठ गई। सब करने के बाद 21 हजार रुपए मिल गए। मैंने सोचा ये तो कमाल है। मैं पूरे महीने मेहनत कर मार्शल आर्ट सिखाता हूं, मुझे 5-6 हजार रुपए से ज्यादा आमदनी नहीं मिलती। ये दो घंटे एसी रूम में बैठकर 21 हजार रुपए मिल गए। मॉडलिंग करने लगा और फिर एक फिल्म मिल गई।
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अक्षय कुमार ने बताया कि गोविंदा वो पहले शख्स थे, जिन्होंने सबसे पहले उनसे हीरो बनने के लिए कहा था। वे कहते हैं, "एक फोटोग्राफर था, जिसका नाम था जयेश सेठ। मैं उसके साथ लाइटमैन के तौर पर काम करता था। बड़े-बड़े एक्टर्स आते थे। गोविंदा जी आते थे, संगीता बिजलानी थीं, जैकी श्रॉफ थे, अनिल कपूर साहब थे। फोटोशूट के दौरान मैं उनके चेहरे पर लाइटिंग बगैरह करता था। तब गोविंदा जी ने मुझे कहा था' 'ए! तू अच्छा है रे। हीरो बन जा। हीरो अच्छा रहेगा।' तो वो पहले इंसान थे, जिसने यह कहा था।"
अक्षय ने इसी बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गोविंदा से भी पहले उन्होंने खुद अपने आपको हीरो के रूप में देखा था। वे कहते हैं, "मुझे याद है एक और चीज़। जब मैं सातवीं कक्षा में फेल हो गया था। उसके बाद मेरे फादर ने दो-तीन चांटे भी लगा दिए थे। उन्होंने पूछा, 'बेटा तू बनना क्या चाहता है?' तब मुंह से ऐसे ही बात निकल गई और मैंने कहा, 'मुझे हीरो बनना है।' जबकि उस वक्त दिमाग में ऐसा कुछ नहीं था। बस ऐसे ही बोल दिया। तो सबसे पहले मैंने अपने आपको बोला कि हीरो बनना है और फिर गोविंदा जी ने बोला।"