जब संजना.. नाम सुन कांप उठते थे लोग! 22 साल पुरानी 'राज' के 5 डायलॉग्स

Published : Apr 28, 2025, 05:07 PM IST

Raaz movie Dialogues: 2002 की सुपरहिट फिल्म 'राज' ने संजना के किरदार के साथ दिलों में खास जगह बनाई। जानिए बिपाशा बसु की फिल्म में बोले गए 5 फेमस डायलॉग्स, जो आज भी लोगों के दिलों में छाए हुए हैं। 

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‘सारे जहां का दर्द समेटकर, जब कुदरत से कुछ न बन सका...तो उसने तुम्हारी ये दो आंखें बना दी’।

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‘गर्मी-ए-हसरतें नाकाम से जल जाते हैं... हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं... शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए... हम उसकी आग में गुमनाम से जल जाते हैं... जब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ... जाने क्यों लोग मेरे नाम से जल जाते हैं’।

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‘कबसे प्यासी ज़मीन पे बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी...पर आज यहां तूफान आएगा’। 

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‘अगर एक औरत अपने सुहाग को बचाने की जिद करे...तो वह ईश्वर और शैतान दोनों के इरादे बदल सकती हैं।’

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‘शाम है, बारिश है, प्यार का मौसम है...सुन लेने दे हवा में फैले हुए संगीत को...आग है, तड़प है, बेबसी का आलम है...कह लेने दें आज कुछ बिछड़े हुए मीत को...’

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