क्यों 'द केरल स्टोरी' में काम करने से डर गए थे बॉलीवुड स्टार्स? कैसे प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह, डायरेक्टर सुदीप्तो सेन, एक्ट्रेस अदा शर्मा का हुआ यूनियन? क्या 'द केरल स्टोरी' का बन सकता है सीक्वल? राइटर सूर्यपाल सिंह ने दिए सभी सवालों के जवाब।
एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर हो चुकी 'द केरल स्टोरी' में काम करने से बॉलीवुड के कई बड़े स्टार्स ने मना कर दिया था। यह खुलासा फिल्म के राइटर सूर्यपाल सिंह ने एशियानेट न्यूज़ हिंदी से गगन गुर्जर और अमिताभ बुधौलिया से बातचीत में किया। उन्होंने इस बातचीत में यह भी बताया कई इस फिल्म के सीक्वल की गुंजाइश है या नहीं। अपेश है उनसे हुई बातचीत का दूसरा पार्ट...
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सवाल : अदा शर्मा और बाकी एक्टर्स की कास्टिंग कैसे हुई?
जवाब : ये सब्जेक्ट ही ऐसा था कि इंडस्ट्री में कोई भी अपनी साख या अपना भविष्य दांव पर नहीं लगाना चाहता था। कोई भी एक्टर इस फिल्म में काम करने को तैयार नहीं था, क्योंकि उन्हें अपना करियर चौपट होने का डर था। कहीं उनकी इमेज स्टीरियोटाइप ना जो जाए। कहीं उन्हें इंडस्ट्री में बायकॉट ना किया जाने लगे। कई बड़े-बड़े नामों ने इसे मना कर दिया। लेकिन क्या होता है कि अच्छे काम करने के लिए आत्मिक रूप से भी शुद्ध होना जरूरी होता है। अदा शर्मा एकमात्र हीरोइन मुझे इस इंडस्ट्री में ऐसी दिखीं, जो कि अन्य एक्ट्रेसेस से बिल्कुल अलग हैं। वो उतनी ही अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ी हुई हैं, उतनी आध्यात्म से जुड़ी हुई हैं, जितना कि कोई आम इंसान होता है। वो आज भी अपनी संस्कृति को फॉलो करती हैं। जब उन्हें इस फिल्म के लिए अप्रोच किया गया तो वो पहली बार में ही इसे करने को तैयार हो गईं। उन्हें भी वो वीडियो और फुटेज दिखाए गए, जो हमने देखे थे और देखते ही उन्होंने फिल्म के लिए हामी भर दी। हमें ऐसे ही डेडिकेटेड आर्टिस्ट की जरूरत थी। हमारा विषय इतना स्ट्रॉन्ग था कि हमें उसे भुनाने के लिए किसी बड़े चेहरे की जरूरत नहीं थी। हम अगर करोड़ों रुपए देकर किसी बड़े स्टार को ले भी आते तो कोई मतलब नहीं था। क्योंकि वह अपना स्टारडम दिखाता। वो दिल से उस कहानी से नहीं जुड़ता। अदा ने अपने करियर की सबसे बेहतर एक्टिंग इस फिल्म में की है। उन्होंने कैरेक्टर में अपनी जान झोंक दी है।उन्होंने कठिन से कठिन सिचुएशन में इस फिल्म की शूटिंग की है। ऐसी जगहों पर जहां कंपकंपा देने वाली ठंड थी, ऑक्सीजन लेवल बेहद कम था, उस पर कोरोना की दूसरी लहर चल रही थी, तब भी अपनी सेहत की परवाह किए बिना उन्होंने हमें शूट के दौरान को-ऑपरेट किया। दूसरी स्टारकास्ट के लिए मैं मुकेश छाबड़ा जी को धन्यवाद देना चाहूंगा, उन्होंने अपनी साख दांव पर रखी और कहा कि मैं आपको ऐसी स्टारकास्ट दे रहा हूं, जो फिल्म को काफी ऊपर लेकर जाएगी। उनका दांव सही पड़ा। सब लोग उन पर हंसते थे कि मुकेश तुम किन कैरेक्टर्स को दे रहो हो। लेकिन उन्हें विश्वास था कि उनकी स्टारकास्ट फिल्म को फर्श से अर्श तक लेकर जाएगी। और उनका दांव एकदम सही पड़ा। फिल्म में सबका काम जबर्दस्त है। निगेटिव रोल तो इस तरह से निभाए गए हैं कि लोगों को उनसे नफरत होने लगी है। अगर किसी निगेटिव किरदार से आपको नफरत हो जाए तो समझ लो कि एक्टर की मेहनत सफल हो गई है।
सवाल : विपुल अमृतलाल शाह और सुदीप्तो सेन के साथ आपका यूनियन कैसे हुआ?
जवाब : सुदीप्तो जी के साथ मैंने पहले भी एक फिल्म की है, जो आगे रिलीज होगी। जब वो फिल्म लिख रहे थे तो सुदीप्तो जी को मैं वैसा ही परफेक्ट राइटर लगा, जैसा कि वे चाहते थे। उन्हें हार्डकोर हिंदी राइटर चाहिए था, जो कि हिंदी बेल्ट से हो और जिसे लिटरेचर का नॉलेज हो और जिसकी जड़ें गांव से जुड़ी हों। उन्होंने मेरी 'टर्टल' और 'वाह ज़िंदगी' फ़िल्में देखी थीं। इसके बाद उन्होंने मुझे अपनी फिल्म ऑफर की। जब हम वह फिल्म कर रहे थे, तभी यह अफगानिस्तान वाली घटना हुई। तब उन्होंने कहा कि इस फिल्म को छोड़ों हम केरल स्टोरी पर लगते हैं। वहां से हमने इस पर काम करना शुरू किया। 'द केरल स्टोरी' पूरी लिखने के बाद हम विपुलजी से मिले। विपुल जी ने स्क्रिप्ट सुनने के बाद इसके सबूत मांगे। तब हमने उन्हें पूरा रिसर्च वर्क, वीडियो, फुटेज उन्हें दिखाए, जिन्हें देखने के बाद उन्होंने कहा कि यह फिल्म वे ही करेंगे।
सवाल : क्या वजह है कि बॉक्स ऑफिस पर सलमान खान, अक्षय कुमार जैसे बड़े स्टार्स की बड़े बजट की फिल्में नहीं चल पा रही हैं, जबकि 'द कश्मीर फाइल्स', 'द केरल स्टोरी' और 'कांतारा' जैसी छोटे बजट की फ़िल्में कमाल कर रही हैं?
जवाब : क्या है कि जब तक आप जनमानस से कनेक्ट नहीं करेंगे, कोई भी फिल्म सफल नहीं होगी। OTT के आने से दुनियाभर का सिनेमा दर्शकों के लिए खुल गया है। अब हम मनोरंजन को लेकर सीमित नहीं हैं कि जो आप दिखाएंगे, वही देखेंगे। पहले फ़ॉर्मूला फ़िल्में चलती थीं कि थोड़ी मारधाड़ दिखा दी, एक्शन दिखा दिया, प्यार दिखा दिया तो लोग थिएटर में जाकर देख लेते थे। अब दर्शक कुछ चूजी हो गए हैं। उन्हें अपने इंटरेस्ट की चीजें चाहिए। उन्होंने साइंस फिक्शन फ़िल्में इतनी देखा ली हैं कि थोड़ी भी एनीमेशन में कमी दिखती है, VFX में कमी दिखती है तो वे उसे नकार देते हैं। यानी कि जनता अब जागरूक हो चुकी है। अब रही बात 'कांतारा' जैसी छोटे बजट की फिल्मों की तो ये लोगों को कनेक्ट करती हैं। आप खुद देखिए कि कांतारा कितने रूटेड कल्चर को दिखाती है, हमारी संस्कृति को दिखाती है, कर्नाटक के एक छोटे से आदिवासी बहुल इलाके के देवता और उनकी संस्कृति को दिखाती है। वो भले ही वहां हो, लेकिन कहीं ना कहीं पूरे देश की जनता की रूटेड आस्था को तो कनेक्ट कर ही रही है ना। हमारी फिल्म मुद्दे की वजह से नहीं चल रही है। हमारी फिल्म उस संदेश की वजह से चल रही है, जो हमने उसमें दिया है। वो मैसेज उनके दिल को छू गया। जब वे मैसेज लेकर घर जा रहे हैं तो अपनी बेटियों और अपने बच्चों को साथ लाकर फिर से दिखा रहे हैं।
सवाल : आजकल सीक्वल का दौर है। ऐसे में 'द केरल स्टोरी' की सफलता को देखते हुए इसके सीक्वल की उम्मीद की जा सकती है?
जवाब : देखिए, हम कोई मनोरंजक फिल्म नहीं बना रहे हैं कि एक के बाद एक सीक्वल बनाते रहें। हमारी फिल्म सत्यघटित घटना पर बेस्ड है, जिसे हमने ओपन एंडेड रखा है। हमें नहीं पता कि उस लड़की का क्या हुआ? हम नहीं जानते कि वह लड़की वापस आई या नहीं? हो सकता है कि हम एक नए मुद्दे के साथ आएं, एक नया सच सामने लाएं और समाज उसे भी स्वीकार करे। मैं यह तो नहीं कहता कि 'द केरल स्टोरी' का सीक्वल आएगा, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि भविष्य में आपको समाज के ऐसे मुद्दों पर फिल्म जरूर देखने को मिलेगी, जिन्हें सामने आना चाहिए।
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