भारतीय टेलीविजन के सबसे लोकप्रिय गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) का 16वां सीजन 12 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। तीसरे सीजन को छोड़कर (जिसमें शाहरुख खान होस्ट थे) अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किए गए इस शो के कई विजेताओं ने दर्शकों का ध्यान खींचा है। लेकिन, सुशील कुमार की कहानी सबसे अलग है। KBC के नए सीजन के साथ ही सुशील और उनकी जिंदगी एक बार फिर चर्चा में है।
बिहार के रहने वाले सुशील कुमार 2011 में जब 'कौन बनेगा करोड़पति' में आए थे, तब वह राज्य ग्राम विकास विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर की संविदा नौकरी कर रहे थे। शो में 5 करोड़ जीतने के बाद उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी। टैक्स कटने के बाद उनके हाथ में साढ़े तीन करोड़ रुपये आए। सबसे पहले उन्होंने एक घर खरीदा और बाकी पैसे बैंक में जमा करा दिए। लेकिन, आगे का सफर इस युवा के लिए नाटकीय और अप्रत्याशित मोड़ लेकर आया।
आर्थिक मामलों की ज्यादा समझ न होने के कारण 26 वर्षीय सुशील ने कुछ निवेश किए, लेकिन उनमें से कई असुरक्षित निकले। देशभर में प्रसिद्ध टेलीविजन शो में 5 करोड़ रुपये जीतने वाले व्यक्ति के तौर पर पहचान मिलने के बाद कई लोग उनसे मिलने लगे। इनमें से ज्यादातर लोग आर्थिक मदद मांगने वाले थे। इनमें व्यक्ति ही नहीं, संगठन भी शामिल थे। जरूरतमंदों की मदद करके शुरुआत में सुशील को खुशी मिली, लेकिन बाद में यह उनके लिए एक लत बन गई। कहा जाता है कि दाहिने हाथ से दिया गया दान बाएं हाथ को पता नहीं चलना चाहिए, लेकिन सुशील अपनी मदद दूसरों से छिपाते नहीं थे। बाद में एक फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि उस दौरान वह हर महीने एक हजार से ज्यादा बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल होते थे। लेकिन, बाद में उन्हें एहसास हुआ कि मदद मांगने वालों में से कई लोग उन्हें धोखा दे रहे थे।
जीवन में अचानक आए इस बदलाव का असर उनके पारिवारिक जीवन पर भी पड़ा। उनकी पत्नी की सबसे बड़ी शिकायत थी कि सुशील को अच्छे और बुरे की पहचान नहीं है। उन्होंने सुशील को सलाह दी कि उन्हें पहले खुद के जीवन को सुरक्षित करना चाहिए, उसके बाद दूसरों की मदद करनी चाहिए, लेकिन सुशील ने उनकी बात नहीं मानी। धीरे-धीरे उनका घर झगड़ों का अड्डा बन गया। इसी दौरान सुशील को सिगरेट और शराब की लत भी लग गई।
इन झगड़ों से बचने के लिए सुशील अक्सर दिल्ली चले जाते थे। वहां उनका कलाकारों और शिक्षाविदों के समूहों से परिचय हुआ। सुशील को लगता था कि ये समूह उनकी बुद्धि और रचनात्मकता को बढ़ावा देंगे, लेकिन इन समूहों ने उनकी शराब की लत को और बढ़ा दिया। देखते ही देखते बैंक में जमा उनकी सारी पूंजी खत्म हो गई।
इसके बाद दुनिया ने सुशील को दूध बेचकर गुजारा करते हुए देखा। एक बार एक पत्रकार ने सुशील से उनके जीवन के बारे में पूछा। इससे नाराज सुशील ने बिना किसी लाग-लपेट के अपनी पूरी कहानी बता दी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने सारे पैसे गंवा दिए और अब कैसे गुजारा कर रहे हैं। यह खबर पूरे देश में फैल गई। जो लोग कभी उनसे पैसे मांगते थे या दोस्ती का नाटक करते थे, वे अब उनसे दूरी बनाने लगे। उन्हें अब किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता था।
हालांकि, ज्ञान और रचनात्मकता में विश्वास रखने वाले सुशील ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने खुद को संभाला और अपनी पढ़ाई जारी रखी। दिसंबर 2023 में उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में 119वीं रैंक हासिल की। यह परीक्षा 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए मनोविज्ञान शिक्षकों के पदों के लिए थी। सुशील ने 6वीं से 8वीं कक्षा के लिए सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों के पदों के लिए हुई परीक्षा में 1612वीं रैंक भी हासिल की। मनोविज्ञान में एमए और बीएड करने वाले सुशील बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से पीएचडी भी कर रहे हैं।
प्रकृति प्रेमी सुशील कुमार पिछले पांच साल से पूर्वी चंपारण जिले में पौधे लगा रहे हैं। उनका सपना है कि वह एक अच्छे शिक्षक बनें और अपने छात्रों को सकारात्मक रूप से प्रभावित करें।