RJD का दावा UP पुलिस ने बिहार मजदूरों को बनाया था मुर्गा, FACT CHECK में इस वायरल तस्वीर का पूरा सच

RJD के आधिकारिक हैंडल से भी 21 अक्टूबर को कुछ अन्य तस्वीरों के साथ ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा गया कि ये तिरस्कार और दुर्व्यवहार बिहारी भाइयों के साथ हुआ है। वहीं कुछ अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी ये तस्वीर शेयर कर रहे हैं। उनका दावा है कि ये लॉकडाउन के वक़्त बिहार जाते समय ली तस्वीर है।

फैक्ट चेक डेस्क. Lockdown UP viral pic shared as bihar: बिहार में चुनाव है इसके लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) लगातार चुनाव प्रचार में व्यस्त है। इसके लिए सोशल मीडिया पर भी जनता को लुभाने वादे-इरादे बताए जा रहे हैं। बिहार में 28 अक्टूबर, 2020 से विधानसभा चुनाव हैं और राजनितिक पार्टियां सोशल मीडिया के ज़रिये भी चुनाव प्रचार कर रही हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर आरजेडी ने कुछ तस्वीरें साझा कर बिहार की जनता को आगाह किया। 

RJD लखीसराय के ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट की गयी। इस तस्वीर में पुलिसवाले के सामने कई लोग कान पकड़कर बैठे हैं। RJD ने ट्वीट में बिहार की जनता से कहा, “भूलना नहीं है बिहारवासियों! यह आपके साथ नहीं हुआ हो, पर आपके दूसरे गरीब बिहारी भाइयों के साथ ज़रूर हुआ है! उनके स्वाभिमान व न्याय की ख़ातिर भूलना नहीं है बिहारवासियों!”

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समस्या ये है कि जो तस्वीर साझा की है क्या वो वाकई बिहारबासियों की है? इस तस्वीर ने लॉकडाउन के समय जमकर चर्चा बटोरी थी। ऐसे में बिहार के नाम वायरल इस फोटो पर संदेह पैदा हुआ है। 

फैक्ट चेक में हम आपको बताएंगे RJD की पोस्ट इस तस्वीर का सच- 

 

 

वायरल पोस्ट क्या है? 

RJD के आधिकारिक हैंडल से भी 21 अक्टूबर को कुछ अन्य तस्वीरों के साथ ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा गया कि ये तिरस्कार और दुर्व्यवहार बिहारी भाइयों के साथ हुआ है। वहीं कुछ अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी ये तस्वीर शेयर कर रहे हैं। उनका दावा है कि ये लॉकडाउन के वक़्त बिहार जाते समय ली तस्वीर है जब यूपी पुलिस ने प्रवासी मजदूरों को मुर्गा बनाया था।

 

 

फैक्ट-चेक

इस तस्वीर की पड़ताल में हमने गूगल किया तो हमें द हिंदू की एक रिपोर्ट मिली। दरअसल इस तस्वीर में दिख रहे लोगों को लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने पर पुलिस सज़ा देती हुई दिखती है। 25 मार्च की द हिंदू, और आउटलुक की कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में इस तस्वीर के बारे में बताया गया था। उस समय ये तस्वीरें जमकर वायरल हुई थीं। 

तस्वीर के डिस्क्रिप्शन में लिखा था, “24 मार्च, 2020 को कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान, नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को दंडित करती पुलिस।” द हिंदू ने इस फ़ोटो का क्रेडिट न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिया था। लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के 75 ज़िलों में धारा 144 लगी थी।” 

 

 

गौरतलब है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में 23 मार्च से ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। पुलिस के मुताबिक, “ये लोग बिना किसी कारण के बाहर निकले थे। कुछ लोग पैदल थे। बाकी बाइक पर थे। इनमें से कोई भी व्यक्ति ये साबित करने में नाकाम रहा कि वो राशन या दवा लेने के लिए बाहर निकला था।”

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने लॉकडाउन की पाबंदी तोड़ने वालों से पहचान पत्र दिखाने के लिए कहा- “अगर ये लोग दिल्ली या बिहार के प्रवासी मज़दूर होते, तो उन्होंने अपने घर का पता बताने के लिए आधार कार्ड दिखाया होता, और तब पुलिस ने उनको सज़ा नहीं दी होती, लेकिन वो पहचान पत्र भी नहीं दिखा पाए।”

फ़ोटो में कई ऐसे हिंट मिल जाते हैं, जिससे पता चलता है कि ये लोग प्रवासी मज़दूर नहीं थे। जैसे, पीछे दिख रहीं बाइक्स और उनपर नदारद सामान। पीटीआई की फ़ोटो गैलरी की भी छानबीन की हमें पता चला कि तस्वीर 24 मार्च को ही खींची गई थी।

ये निकला नतीजा 

इस तरह इस तस्वीर का बिहार जा रहे प्रवासी मजदूरों के साथ हुए दुर्व्यवहार से कोई से कोई लेना-देना नहीं है। कानपुर पुलिस लॉकडाउन का पालन नहीं करने पर लोगों को यूं मुर्गा बनवाकर उन्हें सज़ा दे रही थी। देश के राज्य में लॉकडाउन तोड़ने के दौरान ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं। इन फोटोज का बिहार के मजदूरों को यूपी पुलिस द्वारा प्रताड़ित जाने से कोई लेना नहीं है। वायरल पोस्ट के साथ किए जा रहे दावे में कोई सच्चाई नहीं है। 

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