फेसबुक पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें बड़े-बड़े सीवर के पाइपों के अंदर रहने वाले वाले लोगों को देखा जा सकता है। तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि यह दृश्य भारत की एक झुग्गी का है।
फैक्ट चेक. फेसबुक पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें बड़े-बड़े सीवर के पाइपों के अंदर रहने वाले वाले लोगों को देखा जा सकता है। तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि यह दृश्य भारत की एक झुग्गी का है। लोग इस दर्दनाक तस्वीर को जमकर शेयर कर रहे हैं। जबकि गूगल पर इस तस्वीर से जुड़ी कुछ और ही सच्चाई मौजूद है।
फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
बीते कुछ दिनों में बाढ़ लॉकडाउन के कारण बहुत सी तस्वीरैं वायरल हुई हैं। इस बीच इस तस्वीर ने लोगों को रूला दिया है। कुछ लोग इसे बाढ़ से जोड़कर भी साझा कर रहे हैं।
वायरल पोस्ट क्या है?
फेसबुक पर वायरल इस पोस्ट में 1 तस्वीर है जिसमें बड़े-बड़े सीवर के पाइपों के अंदर रहने वाले वाले लोगों को देखा जा सकता है। जिसका हिंदी अनुवाद होता है “यह उसी भारत देखा की सड़कों का दृश्य है, जहां राम के लिए भव्य मंदिर बनाया जा रहा है।”
फैक्ट चेक
पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इस तस्वीर का स्क्रीनशॉट लिया और फिर उसे गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें यह तस्वीर 10 जुलाई 2014 को डेली मेल की एक खबर में मिली। खबर सबसे अच्छी पर्यावरण तस्वीरों के बारे में थी। खबर में इस तस्वीर को भी देखा जा सकता है।
इस तस्वीर के साथ डिस्क्रिप्शन लिखा था “Faisal Azim, Bangladesh, was awarded winner of the Atkins City Scape Award 2014 for this photograph of beggars in Bangladesh”। इसका हिंदी अनुवाद होता है “बांग्लादेश में भिखारियों की इस तस्वीर के लिए बांग्लादेश के फैजल अजीम को एटकिन्स सिटी स्केप अवॉर्ड 2014 से सम्मानित किया गया।”
हमें यह तस्वीर इकोनॉमिक्स टाइम्स की वेबसाइट पर 14 अगस्त, 2015 को पब्लिश्ड एक खबर में भी मिली। खबर बांग्लादेश के फोटोग्राफर फैज़ल अजीम के बारे में थी जिन्होंने 2015 में ‘नेशनल ज्योग्राफिक ट्रैवलर फोटो प्रतियोगिता’ में दूसरा स्थान हासिल किया था। खबर के अनुसार, यह तस्वीर फैज़ल अजीम ने ही 2013 में बांग्लादेश के एक स्लम में खींची थी। इस तस्वीर ने कई अवॉर्ड्स भी जीते थे।”
ये निकला नतीजा
अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में बड़े-बड़े सीवर के पाइपों के अंदर बैठे लोगों की यह तस्वीर बांग्लादेश की है, भारत की नहीं।