त्रिपुरा पुलिस को बदनाम करने के लिए फेक वीडियो वायरल, जानें क्या है इसका सच

सोशल मीडिया पर इस वीडियो को तेजी से शेयर किया जा रहा है। इसमें दिख रहा है कि पुलिस कुछ उपद्रवियों का साथ देती दिख रही है। हालांकि वीडियो का सच कुछ और ही है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 30, 2021 10:52 PM IST / Updated: Oct 31 2021, 04:27 AM IST

क्या वायरल हो रहा है: सोशल मीडिया पर एक पुलिसवाले का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि ये त्रिपुरा पुलिस है, जो दंगाइयों का साथ दे रही है। दंगाई, जिन्होंने मुस्लिमों के घर और दुकानें जला दीं। ये पुलिस उनका नेतृत्व कर रही है। इस पोस्ट के साथ हैजटैग वायरल हो रहा है  #SaveTripuraMuslim #TripuraAnti Muslims Riots। वीडियो में दिख रहा है कि एक पुलिसवाला संकरी रोड पर चलते हुए जय श्री राम के नारे लगा रहा है। वीडियो में कुछ पुरुषों को भगवा कपड़ा और भगवा झंडे लहराते देखा जा सकता है। घर-घर भगवा छाया जैसे नारे भी वीडियो में सुनाई दे रहा है। 

वायरल वीडियो का सच क्या है:
- वायरल वीडियो की पड़ताल करने पर पता चला कि ये साल 2018 से पहले का है। इसलिए ये तो तय है कि वीडियो त्रिपुरा में हुई हिंसा से संबंधित नहीं है। इसके सच का पता लगाने के लिए कुछ कीवर्ड और गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद कई लिंक मिले। एक लिंक पर क्लिक करने पर पता चला कि ये वीडियो 26 मार्च 2018 को फेसबुक पर शेयर किया गया है। वीडियो में दो नारे सुनाई दे रहे हैं, घर-घर भगवा छा गया, राम राज फिर आ गया और एक ही नारा। एक ही नाम, जय श्री राम, जय श्री राम।

- वीडियो को हिंदी कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसमें लिखा है कि ये योगी आदित्यनाथ की रामभक्त पुलिस है। पुलिसकर्मियों ने भगवान राम के नारे लगाए। एक अन्य लिंक में पता चला कि वीडियो को 25 नवंबर 2018 को अयोध्या में पुलिस ने भी जय श्री राम के नारे लगाए, कैप्शन के साथ शेयर किया गया है। 26 अक्टूबर 2021 को विश्व हिंदू परिषद के विरोध जुलूस के दौरान त्रिपुरा के चमटीला में एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई। दो दुकानों को आग लगा दी गई। इन घटनाओं के बाद इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई। भाजपा ने हिंसा के कारणों की जांच के लिए पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।

निष्कर्ष: वीडियो की पड़ताल करने पर पता चला कि ये त्रिपुरा का नहीं है। साल 2018 के आसपास वीडियो को फेसबुक और यूट्यूब पर शेयर किया गया है। इस बात की सटीक जानकारी नहीं मिली है कि वीडियो का सटीक समय क्या है। लेकिन त्रिपुरा के नाम पर वायरल किया जा रहा वीडियो फेक है। इसके साथ किए जा रहे दावे झूठे हैं। वीडियो के जरिए त्रिपुरा पुलिस को बदनाम करने की साजिश की गई है।

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