चिड़ियाघर प्रशासन ने कुछ सूअर के बच्चों को टाइगर प्रिंट वाले कपड़े पहना कर बाघिन के बाड़े में भेज दिया। यह जुगत काम कर गई और सूअर के बच्चों को बाघिन ने अपना बच्चा समझ कर अपना लिया।
फैक्ट चेक डेस्क. सूअर के बच्चों से लाड़-प्यार जताती बाघिन की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही हैं। इन तस्वीरों से जुड़ी एक भावुक कर देने वाली कहानी भी सुनाई जा रही है। कहा जा रहा है कि थाईलैंड के एक चिड़ियाघर की बाघिन अपने बच्चों की मौत के बाद डिप्रेशन में चली गई थी। उसने खाना-पीना तक छोड़ दिया था। ऐसे में चिड़ियाघर प्रशासन ने कुछ सूअर के बच्चों को टाइगर प्रिंट वाले कपड़े पहना कर बाघिन के बाड़े में भेज दिया। यह जुगत काम कर गई और सूअर के बच्चों को बाघिन ने अपना बच्चा समझ कर अपना लिया।
फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
वायरल पोस्ट क्या है?
पोस्ट के साथ सुनाई जा रही भावुक कर देने वाली कहानी पर बहुत सारे लोग विश्वास कर रहे हैं। ऐसे ही एक यूजर ने लिखा, “आंखें नम कर देने वाली कहानी!”
फैक्ट चेक
हमें पता चला कि बाघिन संग सूअर के बच्चों की ये तस्वीरें थाईलैंड के ‘सृराचा टाइगर जू’ की हैं। ‘टाइगर नर्सिंग पिगलेट्स’ जैसे कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें ‘गेटीइमेजेज’ वेबसाइट पर एक तस्वीर मिली जो वायरल तस्वीरों से काफी मिलती है। इस तस्वीर में भी बाघ के आसपास घूम रहे सूअर के बच्चों ने टाइगर प्रिंट वाले कपड़े पहन रखे हैं। गेटी इमेजेज में लिखा है कि यह तस्वीर 18 नवंबर, 2004 को ली गई थी।
‘सृराचा टाइगर जू’ के फेसबुक पेज पर भी हमें वायरल तस्वीरों से मिलती-जुलती कई तस्वीरें मिली हैं।
चिड़ियाघर ने क्यों किया यह प्रयोग
‘सृराचा टाइगर जू’ में शिकार करने वाले हिंसक जानवरों और शिकार होने वाले निरीह जानवरों के बीच एक अनूठा रिश्ता कायम करने का प्रयोग किया गया था। इसी प्रयोग के तहत सूअर के बच्चों को बाघिन के साथ रखा गया था। ‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, बाघिन सूअर के बच्चों से प्यार तो जताती ही थी, उन्हें दूध भी पिलाती थी। इसी तरह एक मादा सूअर बाघिन के बच्चों को अपना दूध पिलाती थी। इस नए प्रयोग को देखने बहुत सारे लोग आते थे।
‘पटायामेल’ वेबसाइट की एक रिपोर्ट में दिया है कि ‘सृराचा टाइगर जू’ जानवरों की ब्रीडिंग से जुड़े नए-नए प्रयोग करता रहता है।
ये निकला नतीजा
यानी थाईलैंड के चिड़ियाघर में बाघिन के सूअर के बच्चों को दूध पिलाने की बात सच है। हालांकि, इसके साथ बाघिन के बच्चों के मरने और बाघिन के अवसाद में जाने की जो कहानी सुनाई जा रही है, वह पूरी तरह से काल्पनिक है।