Fact Check: कभी महिला पुलिस अफसर ने बेचे थे पत्थर? चौंकाने वाला है वायरल हुई इस तस्वीर का सच

इस वायरल फोटो में एक महिला सिर पर पत्थर उठाए और गोद में बच्चे को लिए खड़ी है, जबकि इसके साथ ही दूसरी तस्वीर लगाई गई है, जिसमें एक महिला पुलिस की वर्दी में नजर आ रही है। वायरल पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि ये ए महिला अफसर है जिन्होंने कभी पत्थर बेचने का काम किया था। 
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 28, 2020 10:44 AM IST / Updated: Oct 28 2020, 04:51 PM IST

फैक्ट चेक डेस्क. सोशल मीडिया पर रोजाना सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो वायरल होते हैं। दोस्तों इसमें जो तस्वीर और वीडियो सबका ध्यान खींचते हैं उनमें कुछ फेक भी निकलते हैं। ऐसे ही एक तस्वीर ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इस वायरल फोटो में एक महिला सिर पर पत्थर उठाए और गोद में बच्चे को लिए खड़ी है, जबकि इसके साथ ही दूसरी तस्वीर लगाई गई है, जिसमें एक महिला पुलिस की वर्दी में नजर आ रही है। वायरल पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि ये ए महिला अफसर है जिन्होंने कभी पत्थर बेचने का काम किया था। 

तस्वीर के साथ किए गए दावे को देखकर लोग भावुक हो गए और फोटो धड़ाधड़ सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। पर क्या वाकई ये महिला मजदूर दूसरी तरफ दिखाई जा रही  पुलिस अफसर है? 

फैक्ट चेकिंग में हमने इस तस्वीर के दावे की जांच-पड़ताल की तो कुछ और सच सामने आया। आइए आपके भी बताते हैं- 

वायरल पोस्ट क्या है? 

फेसबुक पर यह मैसेज सक्सेना विशु नामक यूजर ने शेयर किया है। तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: इस महिला का नाम है पद्मशीला तिरपुड़े…भंडारा ज़िले की वे निवासी हैं और इन्होंने प्रेम विवाह किया है। पति के घर के हालात बिकट होने से उन्होंने खलबत्ता और पत्थर के सिलबट्टे बेचते हुए और इस बच्चे को संभालते हुए, यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल कर, महाराष्ट्र राज्य PSC में पी.एस.आई की परीक्षा उत्तीर्ण की है। वे बौद्ध परिवार से आती हैं…उनकी मेहनत को हम सैल्यूट करते हैं। शिक्षा में परिस्थिति व्यवधान नहीं बनती, परिस्थिति केवल बहाना होती है। इस महिला ने ये साबित कर दिखाया है।

वायरल पोस्ट अंग्रेजी भी वायरल है और लोग लगातार फॉरवर्ड कर रहे हैं। सैकड़ों लोगों ने यही दावा किया। 

 

 

यही खबर IPS अधिकारी दीपांशु काबरा ने नवरात्रि के समय पोस्ट की थी। उनके अलावा बहुत से अधिकारियों ने महिला के जज्बे को सलाम किया और पोस्ट आगे बढ़ती चली गई। IPS दीपांशु का ट्वीट आप यहां नीचे देख सकते हैं।

 

 

फैक्ट चेक

वायरल पोस्ट की पड़ताल के लिए हमने मजदूर महिला की तस्वीर की जांच जिसकी असलियत हमारे हाथ नहीं लगी लेकिन एक-एक दावे का सच सामने आ गया। गूगल सर्च के दौरान हमें महाराष्ट्र टाइम्स की रिपोर्ट मिल जिसमें पद्मशीला ने कहा कि मैंने बहुत संघर्ष किया लेकिन सिलबट्टे कभी नहीं बेचे, मेरे अतीत को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। 

सबसे पहले हमने जांचा कि क्या महिला का नाम पद्मशीला तिरपुड़े है? 

अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर में पुलिस की वर्दी में नजर आ रही महिला पद्मशीला तिरपुड़े है। उनकी वर्दी पर लगे बैच पर भी उनका नाम पढ़ा जा सकता है, हालांकि, सिर पर सिलबट्टे उठाए व गोद में बच्चा लिए खड़ी महिला पद्मशीला नहीं हैं। पद्मशीला ने खुद मीडिया से अपने बारे में फैली इस झूठी खबर को फेक बताया। उन्होंने यह पुष्टि की गोद में बच्चा लिए महिला की तस्वीर उनकी नहीं है। ये मजदूर महिला कोई और है। 

वे भंडारा जिले की निवासी हैं और उन्होंने प्रेम विवाह किया है? 

पद्मशीला ने ही पुष्टि की कि यह दोनों तथ्य सही हैं। पद्मशीला ने बताया कि पति के घर में आर्थिक तंगी थी, लेकिन उन्होंने कभी पत्थर या सिलबट्टे बेचने जैसे काम नहीं किए, वे हाउस वाइफ ही थीं।  

बच्चे को संभालते हुए उन्होंने यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय से शिक्षा हससिल कर महाराष्ट्र राज्य पीएससी में पीएसआई की परीक्षा उत्तीर्ण की पद्मशीला ने बताया कि उनके दोनों बच्चों के जन्म के बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और फिर कॉम्पिटीटिव परीक्षा की तैयारी कर पीएसआई की परीक्षा उत्तीर्ण की। यह दावा सही है कि पद्मशीला बौद्ध परिवार से आती हैं। उन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की।

पद्माशीला तिरपुडे ने ‘महाराष्ट्र टाइम्स‘ से कहा, ‘मेरे अतीत और संघर्षों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। हां, जिंदगी में बहुत संघर्ष किया है। हालात काफी खराब थे। लव मैरिज की थी। हम नासिक शिफ्ट हो गए थे। ग्रेजुएशन के दौरान ही कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। साल 2007 से 2009 तक ग्रेजुएशन की। 2012 में मुख्य प्रतियोगी परीक्षा पास की। 2013 में पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बनी। तभी ही परिवार के साथ यह तस्वीर ली गई थी। इसमें मैं अपनी सास, पति और बच्चों के साथ हूं। लेकिन बाद में, इस फोटो के साथ सिलबट्टे बेचने वाली महिला की फोटो को जोड़कर इसे मेरे संघर्ष की कहानी बताया जाने लगा। यह संयोग है कि महिला मेरी तरह नजर आती है!’

ये निकला नतीजा 

पद्मशीला तिरपुड़े ने बताया कि वायरल पोस्ट करीब तीन साल पहले भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। तब भी उन्होंने साफ किया था कि सिर पर पत्थर उठाए महिला की तस्वीर उनकी नहीं है और न ही उन्होंने मजदूरी की है। उन्होंने बताया कि इस समय वो नागपुर में पोस्टेड हैं। ऐसे में ये बात साफ हो जाती है कि एक महिला अफसर को लेकर वायरल हो रहा दावा पूरी तरह बे-बुनियाद और भ्रामक है। 

Share this article
click me!