चाणक्य नीति: मनुष्य में ये 4 गुण जन्मजात होते हैं, इन्हें अभ्यास से नहीं पाया जा सकता

उज्जैन. हर मनुष्य में कई गुण होते हैं। इनमें से कुछ गुण अभ्यास से आते हैं तो कुछ प्रकृति प्रदत्त यानी जन्मजात होते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में ऐसे ही 4 गुणों के बारे में बताया है, जिसे अभ्यास से नहीं पाया जा सकता, ये तो ईश्वर की देन होते हैं। आज हम आपको 4 ऐसे ही गुणों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

Asianet News Hindi | Published : Jan 2, 2021 3:46 AM IST

14
चाणक्य नीति: मनुष्य में ये 4 गुण जन्मजात होते हैं, इन्हें अभ्यास से नहीं पाया जा सकता

1. दान देने का स्वभाव
कोई मनुष्य चाहकर भी अभ्यास के द्वारा ये गुण अपने अंदर विकसित नहीं कर सकता क्योंकि ये गुण तो स्वभाविक है। ये गुण जन्म से ही किसी में होता है। कोई व्यक्ति दूसरे के देखकर दानी नहीं बन सकता। दान देना हर किसी के बस की बात नहीं है। ये गुण तो ईश्वर के अधीन है।
 

24

2. मधुर वाणी
ये गुण स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने के लिए अन्य लोगों के सामने दिखाया तो जा सकता है, लेकिन इसका निरंतर बने रहना कठिन है। मधुर वाणी बोलने का गुण भी व्यक्ति के अंदर होता है अगर कोई इसका अभ्यास कर भी ले तो उसमें बनावटीपन अलग ही नजर आ जाता है।
 

34

3. धैर्य
विपरीत परिस्थितियों में ही मनुष्य के धैर्य की परीक्षा होती है। कुछ लोग मुश्किल समय में जल्दबाजी में गलत निर्णय ले लेते हैं, जबकि धैर्यवान पुरुष हर परिस्थिति में सोच-विचारकर ही सही निर्णय लेता है। ये एक गुण सभी लोगों में नहीं पाया क्योंकि ये जन्मजात होता है।
 

44

4. उचित-अनुचित की पहचान
सही-गलत की पहचान करना मुश्किल काम होता है, लेकिन ईश्वर कुछ लोगों को ऐसी शक्ति देता है, जिसके जरिए वे आसानी से उचित-अनुचित में भेद पता कर लेते हैं। इसी गुण के जरिए वे अपने जीवन में कभी कोई गलत निर्णय नहीं लेते और धोखाधड़ी से बचे रहते हैं।
 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos