यमराज भी नहीं हरा पाए थे रावण को, लेकिन इन 3 योद्धाओं ने किया था उसे पराजित

Published : Oct 24, 2020, 11:15 AM IST

उज्जैन. प्रतिवर्ष विजयादशमी पर रावण दहन किया जाता है। रावण परम विद्वान व शक्तिशाली था। रावण ने न सिर्फ मनुष्यों बल्कि देवताओं को भी हराया था। यहां तक कि यमराज भी रावण से जीत नहीं पाए थे। सभी लोग ये मानते हैं कि रावण श्रीराम के अलावा कभी किसी से नहीं हारा। लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं रावण श्रीराम के अलावा भी अन्य 3 शक्तिशाली योद्धाओं से हारा था। आज हम आपको बता रहे हैं रावण कब-कब किनसे हारा।

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यमराज भी नहीं हरा पाए थे रावण को, लेकिन इन 3 योद्धाओं ने किया था उसे पराजित

जब बालि से हारा रावण
रावण परम शक्तिशाली थी। अन्य योद्धाओं को हरा कर वह स्वयं को सर्वशक्तिमान साबित करना चाहता था। जब रावण को पता चला कि वानरों का राजा बालि भी परम शक्तिशाली है तो वह उससे लड़ने किष्किंधा पहुंच गया। बालि उस समय पूजा कर रहा था। रावण ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा तो बालि ने गुस्से में उसे अपनी बाजू में दबा लिया और समुद्रों की परिक्रमा करने लगा। रावण ने बालि के बाजू से निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। पूजा के बाद जब बालि ने रावण को छोड़ तो वह निढाल हो चुका था। इसके बाद रावण को बालि को अपना मित्र बना लिया।
 

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राजा बलि के महल में रावण की हार
धर्म ग्रंथों के अनुसार, पृथ्वी व स्वर्ग की जीतने के बाद रावण पाताल लोक को जीतना चाहता था। उस समय दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था। वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा, उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था। इस प्रकार राजा बलि के महल में रावण की हार हुई।
 

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सहस्त्रबाहु अर्जुन से भी हारा रावण
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब राक्षसराज रावण ने सभी राजाओं को जीत लिया, तब वह महिष्मती नगर (वर्तमान में महेश्वर) के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन को जीतने की इच्छा से उनके नगर गया। रावण ने सहस्त्रबाहु अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा। नर्मदा के तट पर ही रावण और सहस्त्रबाहु अर्जुन में भयंकर युद्ध हुआ। अंत में सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को बंदी बना लिया। जब यह बात रावण के पितामह (दादा) पुलस्त्य मुनि को पता चली तो वे सहस्त्रबाहु अर्जुन के पास आए और रावण को छोडऩे के लिए निवेदन किया। सहस्त्रबाहु अर्जुन ने रावण को छोड़ दिया और उससे मित्रता कर ली।
 

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