शिवजी के द्वारा गणेशजी का मस्तक काटने की कथा तो सभी जानते हैं, लेकिन ब्रह्मवैवर्त पुराण में कथा कुछ अलग ही है। उस कथा के अनुसार, एक शनिदेव शिवजी के दर्शन करने कैलाश पर गए। वहां देवी पार्वती बालक गणेश को गोद में लेकर बैठी थीं। शनिदेव ने देवी पार्वती को प्रणाम किया, लेकिन गणेशजी की ओर नहीं देखा। जब देवी पार्वती ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि “ मेरी दृष्टि में दोष है, मेरे द्वारा बालक गणेश को देखने से उनका अहित हो सकता है।” तब देवी पार्वती ने शनिदेव से कहा कि “आप मेरे पुत्र गणेश की ओर देखिए, उसके मुख का तेज समस्त कष्टों को हरने वाला है।” देवी पार्वती के कहने पर जैसे ही शनिदेव ने बालक गणेश को देखा तो उनका सिर धड़ से कटकर नीचे गिर गया। ये देखकर माता पार्वती को बहुत दुखी हुई। तभी वहां भगवान विष्णु आए और उन्होंने एक गजबालक का सिर लाकर बालक गणेश के सिर पर उसे स्थापित कर दिया।