गुड फ्राइडे 2 अप्रैल को, जानिए इस दिन से जुड़ा इतिहास, परंपराएं और मान्यताएं

उज्जैन. इस बार 2 अप्रैल को गुड फ्राइडे है। इस दिन ईसा मसीह के बलिदान को याद किया जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार गुड फ्राइडे के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। इस त्योहार में ईसाई धर्म के लोग व्रत रखते हैं और चर्च में विशेष प्रार्थना करते हैं। आगे जानिए इस दिन से जुड़ी खास बातें

Asianet News Hindi | Published : Apr 1, 2021 3:55 AM IST
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गुड फ्राइडे 2 अप्रैल को, जानिए इस दिन से जुड़ा इतिहास, परंपराएं और मान्यताएं

यीशु ने दिया था बलिदान
गुड फ्राइडे के दिन ही दुनिया को प्रेम, दया, करुणा का संदेश देने वाले प्रभु ईसा मसीह को उस समय के धार्मिक कट्टरपंथियों ने सूली पर लटका दिया था। दरअसल, प्रशु यीशु ने लोगों के कल्याण के लिए अपने प्राण का बलिदान दिया था और जिस दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था वह दिन शुक्रवार ही था। हालांकि तीन दिन बाद यानि रविवार को ईसा मसीह पुनः जीवित हो गए थे। इसे ईस्टर संडे के नाम से जाना जाता है।
 

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गुड फ्राइडे से जुड़ा इतिहास
ईसाई मान्यता के अनुसार, यरुशलम के गैलिली प्रांत में प्रशु यीशु लोगों को प्रेम और अहिंसा का संदेश देते थे। उनकी लोकप्रियता दिनोंदिन आम लोगों में बढ़ती जा रही थी। उनकी लोकप्रियता को देखकर उस प्रांत के धर्मगुरुओं और कट्टरपंथियों की सत्ता हिलने लगी थी। 
ऐसे में उन्होंने रोम के शासक से उनकी शिकायत की। रोम साम्राज्य ने उनके खिलाफ़ राजद्रोह का आरोप लगाते हुए उन्हें मृत्यु दंड का फरमान सुना दिया। मृत्यु के दौरान ईसा मसीह को अमानवीय यातनाएं दी गई थीं।

 

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कैसे मनाते हैं गुड फ्राइडे?
गुड फ्राइडे पर लोग उपवास रखते हैं और गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना करते हैं। खास बात ये है कि इस दिन गिरजाघरों में घंटा नहीं बजाया जाता है, बल्कि लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं। लोग चर्च में क्रॉस को चूमकर उनका स्मरण करते हैं। 
इस दिन दान-धर्म के कार्य भी किए जाते हैं। उपवास के बाद मीठी रोटी बनाकर खायी जाती हैं। इस उपलक्ष्य पर प्रशु यीशु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए लोग 40 दिन पहले से उपवास भी रखते हैं। इस रस्म को लेंट के नाम से जाना जाता है। 

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