शीतला सप्तमी पर है ठंडा भोजन करने की परंपरा, जानिए इसका वैज्ञानिक कारण?

उज्जैन. इस बार 4 अप्रैल, रविवार को शीतला सप्तमी है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और ठंडा भोजन किया जाता है। कुछ स्थानों पर शीतला अष्टमी का पर्व भी मनाया जाता है, जो 5 अप्रैल, सोमवार को है। शीतला सप्तमी और अष्टमी पर ठंडा भोजन करने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। यहां जानिए शीतला सप्तमी और अष्टमी से जुड़ी खास बातें...

Asianet News Hindi | Published : Apr 4, 2021 3:49 AM IST
18
शीतला सप्तमी पर है ठंडा भोजन करने की परंपरा, जानिए इसका वैज्ञानिक कारण?

- ये समय ऋतुओं का संधिकाल है यानी सर्दी (शीत ऋतु) के जाने का और गर्मी (ग्रीष्म ऋतु) के आने का समय है।
 

28

- दो ऋतुओं के संधिकाल में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संधिकाल में आवश्यक सावधानी रखी जाती है तो कई तरह की मौसमी बीमारियों से रक्षा हो जाती है।
 

38

- जिन परिवारों में शीतला माता के लिए प्राचीन परंपरा का पालन किया जाता है, वहां इस एक दिन बासी खाना ही खाते हैं।
 

48

- जो लोग शीतला सप्तमी पर ठंडा खाना खाते हैं, उनका बचाव ऋतुओं के संधिकाल में होने वाली बीमारियां से हो जाता है।
 

58

- वर्ष में एक दिन सर्दी और गर्मी के संधिकाल में ठंडा भोजन करने से पेट और पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है।
 

68

- कई लोगों को ठंड के कारण बुखार, फोड़े-फूंसी, आंखों से संबंधित परेशानियां आदि होने की संभावनाएं रहती हैं, उन्हें हर साल शीतला सप्तमी पर बासी भोजन करना चाहिए।
 

78

- यह परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है और आज भी बड़ी संख्या में लोग इसका पालन करते हैं।
 

88

- सप्तमी या अष्टमी से एक दिन पहले ही खाना बनाकर रख लिया जाता है और अगले दिन यही बासी खाना खाते हैं। इस दिन गर्म भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos