असम चुनाव: पिता रहे पंचायत सचिव, बेटा यूथ पॉलिटिक्स के रास्ते CM की कुर्सी तक पहुंचा

गुवाहाटी, असम. राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मजुली विधानसभा सीट से मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। बता दें कि यहां 126 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव होना है। पहले चरण के लिए 27 मार्च का वोटिंग होगी। इसमें 47 सीटें हैं। दूसरे चरण में 39 सीटों पर एक अप्रैल का वोट डाले जाएंगे। तीसरे और अंतिम चरण में 40 सीटों के लिए 6 अप्रैल को वोटिंग होगी। सभी की गिनती अन्य चार राज्यों-पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के साथ 2 मई को होगी। सर्बानंद प्रफुल्ल कुमार महंता के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले ऐसे दूसरे नेता हैं, जो स्टूडेंट्स राजनीति से इस पद तक पहुंचे। आइए जानते हैं सर्बानंद की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Mar 9, 2021 10:30 AM IST / Updated: Mar 09 2021, 04:01 PM IST

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असम चुनाव: पिता रहे पंचायत सचिव, बेटा यूथ पॉलिटिक्स के रास्ते CM की कुर्सी तक पहुंचा

31 अक्टूबर, 1962 को डिब्रूगढ़ में जन्मे सर्बानंद 8 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। इन्होंने डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। इन्होंने गुवाहाटी स्थित जीयू लॉ यूनिवर्सिटी से 1996 में एलएलबी किया है। वहीं, गुवाहाटी यूनवर्सिटी से ही बीसीजे।

(सर्बानंद क्रिकेट के शौकीन हैं)

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सर्बानंद प्रफुल्ल कुमार महंता के बाद राज्य के दूसरे ऐसे नेता है, जो प्रभावशाली छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन(आसू) के अध्यक्ष पद से होते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। वे आसू के 1992 से 98 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद असम गण परिषद(AGP) में शामिल हो गए।
 

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59 वर्षीय सर्बानंद मछली पकड़ने के बहुत शौकीन हैं। जब भी इन्हें समय मिलता रहा, ये अपने दोस्तों के साथ ब्रह्मपुत्र नदी में मछली पकड़ने जाते रहे। ये असम में भाजपा के पहले और राज्य के दूसरे आदिवासी मुख्यमंत्री हैं। इनके पिता पंचायत में सचिव थे।

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 सोनोवाल ने 1998 में AGP के बैनर तले  लखीमपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। इसके बाद वे 2001 में पहली बार मोरान से एमएलए बने। 2004 में डिब्रूगढ़ से सांसद चुने गए। 2011 में सर्बानंद भाजपा में शामिल हुए।

(फाइल फोटो: मोदी से चर्चा करते सर्बानंद)
 

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सोनावाल मजुली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते हैं। यह ब्रह्मापुत्र नदी के बीचोंबीच बसा सबसे बड़ा टापू है। इसे असम की सांस्कृति राजधानी भी कहा जाता है। जब ब्रह्मापुत्र बारिश में अपने पूरे उफान पर होती है, तब मजुली का संपर्क सब से कट जाता है।

(एक कार्यक्रम के दौरान सलामी लेते सर्बानंद)

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सर्बानंद को क्रिकेट मैच और पुरानी फिल्में देखने का शौक है। समय मिलने पर बैडमिंटन और फुटबॉल भी खेलते हैं। इन्हें महंगी कारें और बाइक का शौक है। ये ग्रेजुएशन के समय मिस्टर डिब्रूगढ़ रह चुके हैं।

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सर्बानंद बेहद भावुक प्रवृत्ति के नेता है। छात्र राजनीति के दिनों में वे कई दिनों तक अपने घर नहीं आ पाते थे। उन्हें लगता था कि वे अकेले ही ठीक। यही वजह रही कि परिवार के दवाब के बावजूद उन्होंने शादी नहीं की। उन्हें असम की परंपरागत बिहू गीत सुनना पसंद है। वे अकसर सफेद शर्ट और काले रंग की पैंट में नजर आते हैं।

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