अस्पताल में पैदा हुई थी बेटी, उसे घर लाने तक के पैसे नहीं थे एक्टर के पास, रुला देगी दास्तां
मुंबई. भोजपुरी समेत बॉलीवुड और साउथ इंडस्ट्री में काम कर चुके एक्टर रवि किशन आज एक सफल एक्टर होने के साथ-साथ गोरखपुर से भाजपा सांसद हैं। 17 साल की उम्र में घर-बार छोड़ने वाले रवि किशन के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, जो आज को एक सफल एक्टर के तौर पर गिने जाते हैं इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत है। एक इंटरव्यू में एक्टर ने बताया था कि स्ट्रगलिंग के दिनों में उनकी किसी ने भी मदद नहीं की थी। जब उनकी बेटी पैदा हुई थी तो उसे वो कर्ज लेकर घर लाए थे।
रवि किशन ने इंटरव्यू में अपनी ये रुला देने वाली दास्तां सुनाते हुए कहा था कि स्ट्रगलिंग के दिनों उनकी किसी ने भी मदद नहीं की थी। उनकी बेटी जब अस्पताल में पैदा हुई थी तो उसे घर लाने तक के उनके पास पैसे नहीं थे। तब जाकर उन्होंने ब्याज पर पैसे उधार लिए फिर अपनी पत्नी और बेटी को अस्पताल से बाहर निकाल पाए थे। उनके खेत भी गिरवी पड़े थे।
रवि किशन ने बताया था कि उन्हें इंडस्ट्री में काम नहीं मिल रहा था तो वो गलत रास्ते पर भी जाने की सोचने लगे थे, लेकिन उनके पिता ने समझाया और फिर वो स्ट्रगल करते रहे। बाद में उन्हें काम भी मिलना शुरू हो गया था फिर धीरे-धीरे वो भोजपुरी में सुपरस्टार बन गए।
रवि किशन ने इंटरव्यू में कहा था कि फिल्मों में 10-12 साल काम करने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिलते थे। लोग पैदल चलकर ऊपर आते हैं और वो रेंगकर ऊपर आए हैं। रवि किशन ने बचपन का किस्सा शेयर करते हुए बताया था कि जब वो रामलीला में सीता का रोल प्ले किया करते थे तो उनके पिता उनकी बेल्ट से पिटाई करते थे और कहते थे कि तुम नचनिया क्यों बन रहे हो?
रवि किशन के पिता चाहते थे कि वो कोई ऐसा काम करें जो ब्राह्मण परिवार को शोभा देता हो, लेकिन रवि किशन के सपने को पूरा करने के लिए उनकी मां ने उनका सपोर्ट किया और घर से भागने की सलाह दी थी। एक्टिंग के लिए रवि किशन 17 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़कर मुंबई चले गए थे।
सबसे बुरे वक्त के बारे में रवि किशन ने बताया था कि वो बारिश में भीगते हुए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचे थे। जब वो 7-8 घंटे की रिकॉर्डिंग कर बाहर निकले तो उन्होंने चेक मांगा। इस पर प्रोड्यूसर ने कहा कि फिल्म में काम दे दिया ये क्या कम है...चेक मत मांगना नहीं तो रोल काट दूंगा। रवि प्रोड्यूसर की बात सुनकर हैरान रह गए थे।
रवि ने बताया कि उन्हें जमीन छुड़ाने के लिए पैसे चाहिए थे। वो बाइक पर बैठकर बारिश में भीगते हुए वापस घर आए। आसमान में देखकर वो खूब रोए थे। उस दिन को वो कभी नहीं भूल पाए। साल 2003 में उन्होंने अपनी मां के कहने पर भोजपुरी फिल्म 'सइयां हमार' की। इस फिल्म के लिए मुझे 75 हजार मिले थे।
रवि किशन की ये फिल्म सुपरहिट हो गई। उसके बाद उन्होंने 'पंडित जी बताई न बियाह कब होई' फिल्म साइन की थी। इस फिल्म ने 12 करोड़ की कमाई की। यहां से फिर रवि किशन ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा था। रवि किशन ने बताया कि बिग बॉस में आने के बाद उनकी किस्मत ही बदल गई थी।
रवि किशन अपने भोजपुरी अंदाज और 'अद्भुत' या फिर 'बाबू' और 'जिन्दगी झंड बा, तब्बो घमंड बा' जैसे जुमलों के चलते इतने पॉपुलर हुए कि प्रतियोगिता के आखिरी तीन प्रतिभागियों में एक वे भी थे। आज रवि किशन के पास बीएमडब्ल्यू, ऑडी समेत कई गाड़ियां हैं। रवि को बाइक चलाने का भी शौक है। उनके पास हार्ले डेविडसन बाइक भी है।
रवि किशन को फिल्म 'तेरे नाम' के लिए सर्वश्रेष्ठ सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। 2005 में आई उनकी भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी मिला। इस तरह वे इकलौते ऐसे एक्टर बने जिन्हें एक साथ हिंदी और भोजपुरी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त फिल्मों का हिस्सा होने का गौरव मिला।