जब बचपन की गरीबी को यादकर खेसारी की आंखों से छलक पड़े आंसू, बताया सात भाई पहनते थे एक ही पैंट

मुंबई. भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने बहुत कम समय में ही इंडस्ट्री में एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है। आज वो किसी पहचान के मोहताज नहीं है। दुनिया भर में उनके जबरदस्त फैंस हैं, लेकिन इस सफलता के मुकाम तक पहुंचा उनके लिए आसान नहीं था। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता है।

Asianet News Hindi | Published : May 3, 2020 10:03 AM IST

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जब बचपन की गरीबी को यादकर खेसारी की आंखों से छलक पड़े आंसू, बताया सात भाई पहनते थे एक ही पैंट

खेसारी लाल यादव के घर में एक समय गरीबी का वो आलम था कि एक ही पैंट सातों भाई मिलकर पहना करते थे और पिता चने बेचकर परिवार वालों का पेट पालते थे। आज जब एक्टर अपने उस बीते समय को याद करते हैं तो उनकी आंखों से आंसू छलक जाते हैं। 

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बात उस समय की है जब खेसारी का बचपन गरीबी में पल रहा था। इतना ही नहीं खेसारी के जन्म के समय उनका मिट्टी का मकान तक ढह गया था। पड़ोसी के पक्के मकान में जाकर मां ने खेसारी को जन्म दिया था। खेसारी की मां पिता का हाथ बंटाने के लिए दिल्ली चली गईं। ये सोचकर कि कुछ पैसा बन जाए तो बेटों के लिए कुछ कर सकेंगे।

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खेसारी ने अपने बचपन के किस्से और गरीबी के बारे में बात करते हुए इंटरव्यू में बताया था कि खेसारी तीन भाई हैं। वह चाचा के पास गांव में रह गए। चाचा के चार लड़के हैं। इस तरह इस बड़े परिवार में कुल 7 लड़के और कमाई के नाम पर कुछ भी नहीं। कई बार तो सभी एक ही पैंट बदल-बदलकर पहनते। खेसारी की यह कहानी भला किसे नहीं रुला देगी।

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खेसारी सिर्फ मैट्रिक पास ही थे, लेकिन उन्होंने बचपन से ही फौलादी जिगर पाया था। बावजूद इसके जब वह पुराने दिनों को याद करते हैं तो दहाड़ मारकर रो पड़ते हैं। खेसारी बताते हैं कि किस तरह उन सात भाइयों ने अपने कपड़े भी हर बार एक ही तरह के सिलाए ताकि जब भी जरूरत हो कोई भी पहनकर कहीं फंक्शन या समारोह में जा सके।

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खेसारी बताते हैं कि उनकी शादी भी बहुत पहले ही हो चुकी थी। वो भी बिना दहेज क्योंकि उनके पिता को यह मंजूर नहीं था। गानों के जरिए फेमस होने से पहले खेसारी लिट्टी चोखा तक बेच चुके हैं और लौंडा डांस तक कर चुके हैं। बाद में वह जागरण करने लगे और इससे धीरे-धीरे पैसा जुटाने लगे।

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खेसारी ने पैसे जुटाने के बाद और कुछ पैसे उनके पिता ने चने बेचकर बेटे के सपने को पूरा करने के लिए जुटाए थे। करीब तीन कैसेट उनकी पहले फ्लॉप हो गई। इसके बाद चौथी कैसेट से उनकी किस्मत बदली। 'माल भेटाई मेला में' उस समय उनका ये गाना लोगों की जुबां पर चढ़ गया था। 

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बता दें, खेसारी एक्टिंग के पीछे इस तरह से पागल थे कि वो BSF की नौकरी भी छोड़कर चले आए थे और दिल्ली की सड़कों पर लिट्टी-चोखा भी पत्नी के साथ बेचा।  
 

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मनोज तिवारी ने 'ससुरा पड़ा पईसा वाला' से भोजपुरी सिनेमा को वह ट्रेंड दे दिया, जहां से हर भोजपुरी गायक हीरो बन रहा था। यही वह दौर था जब खेसारी को अब उनकी मेहनत का फल मिलना था और मिल भी गया। आज खेसारी इस इंडस्ट्री के टॉप एक्टर में गिने जाते हैं तो इसके पीछे वर्षों का उनका संघर्ष ही है।

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फोटो सोर्स- गूगल।

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