बनारस में मां के साथ यहां रहते थे मनोज तिवारी, इसी घर को बनवाने में किया था मजदूरों की तरह काम
मुंबई. भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष और भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी आज राजनीति का बड़ा नाम बन चुके हैं। वहीं, इनके दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के तमाम कयास भी लगाए जा रहे हैं। यहां तक जीवन का सफर तय करना उनके लिए आसान नहीं था। राजनीति में आने से पहले वो एक सिंगर और भोजपुरी एक्टर थे। भोजपुरी फिल्मों का उन्हें जन्मदाता भी कहा जाता है। भोजपुरिया स्टार्स उन्हें भइया कहकर पुकारते हैं।
Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2020 6:35 AM IST / Updated: Jan 23 2020, 09:32 AM IST
बीजेपी अगर दिल्ली चुनाव 2020 जीतती है तो कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली के अगले सीएम मनोज तिवारी होंगे। तो ऐसे में यहां तक पहुंचने वाले मनोज तिवारी का आपको स्ट्रगल बता रहे हैं और उस घर के बारे में बता रहे हैं, जिसमें उन्हें सुकून मिलता है, जहां वो अपनी मां के साथ जीवन के खूबसूरत पल बिताया करते थे।
मनोज तिवारी को बचपन से ही गायिकी का शौक था वो अपने कॉलेज के दिनों से ही गायिकी करने लगे थे। उन्होंने हिंदी में एम ए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से किया है। मनोज तिवारी ने एक बार इंटरव्यू में अपने स्ट्रगलिंग के दिनों के बारे में बताया था कि वो अपने गांव से बनारस 1998 में आए थे। यहां आने के बाद उनके पास कोई घर नहीं था।
उन्होंने दोस्तों के साथ वहां खूब घर ढूंढा तो काफी जद्दोजहद के बाद उन्होंने बनारस में कौशलेस नगर में एक घर मिला। उस वक्त वो घर बना हुआ नहीं था और मनोज तिवारी अपने प्रोग्रामों में बिजी रहा करते थे। जब उन्हें उससे वक्त मिलता था तो मजदूरों के साथ घर को बनवाने में भिड़ जाते थे। अपने सपनों का आशियाना बनाने के लिए वो उसमें मजदूरों की तरह काम किया करते थे।
स्ट्रगलिंग के दौरान मोनज तिवारी सिर्फ प्रोग्राम और एल्बम गाया करते थे। घर को बनवाने के लिए मोनज तिवारी ने खुद ट्रॉली से पत्थर उतारकर कारीगरों को पकड़ाया था। मनोज तिवारी धीरे-धीरे अपने करियर में आगे बढ़ते चले गए और फिर फिल्मों में आए। उन्होंने भोजपुरी में अपनी पहली फिल्म 'ससुरा बड़ा पइसावाला' (2004) में की थी। इसमें उनके अपोजिट रानी चटर्जी ने लीड रोल प्ले किया था। एक्ट्रेस उस वक्त महज 15 साल की थीं।
मनोज तिवारी जब भी अपनी शूटिंग से वक्त पाते थे तो वो बनारस चले आते थे अपने सपने के आशियाने में। यहां वो अपनी मां के साथ रहा करते थे। इस घर में उन्होंने अपनी मां के साथ कीमती पल बिताए थे, जिसे यादकर मनोज तिवारी अक्सर भावुक हो जाते हैं।
मनोज तिवारी ने अपने बेडरूम को इस तरह से डिजाइन किया था कि वो उसमें ही बैठकर तानपुरा लेकर संगीत का रियाज करते थे और अपने बेडरूम के बगल में ही उन्होंने कीचन बनवाया था क्योंकि उन्हें खाने का भी काफी शौक है।
मनोज तिवारी के घर की डाइनिंग टेबल।
मनोत तिवारी ने घर बनवाने के बाद 1999 में पहला टेप खरीदा था।
अपने सपने के आशियाने को मनोज तिवारी बहुत ही सजा कर रखते हैं। चूंकि उन्हें पेड़-पौधों का शौक है तो उन्होंने घर के चारों तरफ गमले लगाए हुए हैं।
पुरस्कारों से भरी मनोज तिवारी के घर की अलमारी।
अपने दिल्ली के घर में भगवान की पूजा करते मनोज तिवारी।