मान्या ने कहा था कि 'उनका खून, पसीना और आंसू उनकी आत्मा के लिए खाना बने और उन्होंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई। मान्या ने कम उम्र में ही नौकरी करना शुरू कर दिया था, जो भी कपड़े उनके पास थे, दूसरों के दिए हुए थे। उन्हें किताबें चाहिए थीं लेकिन वो उनकी किस्मत में बनी थीं।'