हेमा के हवाले से बुक में लिखा है, "मैं किसी को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी। धरम जी ने जो मेरी बेटियों के लिए किया, उससे मैं बेहद खुश हूं। उन्होंने एक पिता की भूमिका बखूबी निभाई है। आज मैं काम करती हूं और अपने आपका ख्याल रखने में सक्षम हूं। क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी को आर्ट और कल्चर से जोड़ रखा है। मुझे लगता है कि अगर स्थिति इससे थोड़ी भी अलग होती तो मैं आज वहां ना होती, जहां हूं।"