चाहते हुए भी इकलौते बेटे को मौत के मुंह में जाने से नहीं बचा पाए थे कबीर बेदी, अब तक नहीं उबर पाए उस सदमे से

मुंबई। कबीर बेदी (Kabir Bedi) ने हाल ही में सलमान खान (Salman Khan) की मौजूदगी में अपनी बायोग्राफी स्टोरीज आई मस्ट टेल: द इमोशनल लाइफ ऑफ द एक्टर लॉन्च की। इस बायोग्राफी में उन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ से रिलेटेड काफी बातों का खुलासा किया है। इस बुक को उन्होंने पिछले साल लॉकडाउन के दौरान लिखा था। इसी बीच, एक इंटरव्यू में कबीर बेदी ने अपने बेटे सिद्धार्थ की मौत को लेकर भी काफी कुछ कहा है। कबीर बेदी के मुताबिक, वो जानते थे कि उनका बेटा सुसाइड करने वाला है लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वो उसे बचा नहीं पाए। इस बात का गम उन्हें आज भी सताता है। बता दें कि सिद्धार्थ 25 साल की उम्र में सीजोफ्रेनिया का शिकार हो गए थे। 

Ganesh Mishra | Published : Apr 13, 2021 12:26 PM IST

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चाहते हुए भी इकलौते बेटे को मौत के मुंह में जाने से नहीं बचा पाए थे कबीर बेदी, अब तक नहीं उबर पाए उस सदमे से

कबीर बेदी के मुताबिक, सिद्धार्थ बहुत ही होशियार लड़का था। उसके अंदर कई योग्यताएं थीं, लेकिन एक दिन अचानक उसका सोचना बंद हो गया। वो कुछ सोच नहीं पा रहा था। हमने लाख कोशिखें की कि समझ पाएं आखिर उसे हो क्या रहा है। 

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कबीर ने आगे बताया, करीब 3 साल हम इस अनजानी ताकत से लड़ते रहे। इसी बीच, एक दिन वो मॉट्रियल (कनाडा) की सड़कों पर हिंसक हो गया। 8 पुलिसवालों ने मिलकर उसे किसी तरह काबू किया। फिर डॉक्टर्स ने बताया कि सिद्धार्थ सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नाम की बीमारी से जूझ रहा है। 

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कबीर बेदी ने कहा- हमारे परिवार ने लाख कोशिश की कि सिद्धार्थ इस बीमारी से उबर पाए। लेकिन हमने उसे खो दिया। बता दें कि सिद्धार्थ ने 25 साल की उम्र में खुदकुशी कर ली थी। एक्टर के मुताबिक, सिद्धार्थ का कई जगह इलाज भी करवाया लेकिन वो ठीक नहीं हो पाया और आखिर में उसने मौत को गले लगा लिया। उस सदमे से हम अब तक नहीं उबर पाए हैं। 
 

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इससे पहले बेदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सिद्धार्थ ने इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नॉलजी में ऑनर्स किया था। फिर वो मास्टर डिग्री की पढ़ाई करने कार्नेगी मेलन यूनिवर्स‍िटी में गया। यहां उसकी लाइफ में सबकुछ बदल गया। पढ़ाई के दौरान पता चला कि वो डिप्रेशन में है। डिप्रेशन बढ़ता गया और आखिरकार ये सीजोफ्रेनिया जैसी गंभीर बीमारी में बदल गया। उसका इलाज करवाया लेकिन इस दौरान दी जाने वाली दवाएं उसे उदासी की ओर ले गईं।

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कबीर बेदी ने बताया था- बेटे को हर दिन पॉजिटिव बनाने की कोशिश की लेकिन वक्त के साथ-साथ उसकी बीमारी और ज्यादा बढ़ती गई। उसने खुद अपनी बीमारी के बारे में काफी कुछ पढ़ा और एक दिन उसने मुझसे कहा वो सुसाइड करने की सोच रहा है। ये बात सुनकर मैं शॉक्ड रह गया था। मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो नहीं माना। 
 

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कबीर बेदी के मुताबिक, एक दिन मैंने उसका ईमेल चेक किया तो मैं चौंक गया। ये मेल उसके फ्रेंड्स के लिए था, जिसमें उसने लिखा था कि मुझे फेयरवेल देने आ जाओ। और कुछ दिनों बाद उसने सुसाइड कर लिया। उसने एक लेटर छोड़ा था, जिसमें लिखा था- 'मैं दूसरी तरफ जा रहा हूं'।
 

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बता दें कि कबीर बेदी ने 1969 में ओडिसी डांसर प्रोतिमा बेदी से शादी की थी। इनकी एक हादसे में मौत हो गई थी। फिर उन्होंने ब्रिटिश फैशन डिजाइनर सुसैन हम्फ्रेस से शादी की। ये शादी ज्यादा दिन नहीं चली और दोनों में तलाक हो गया। 1990 में कबीर ने टीवी और रेडियो प्रेजेंटर निक्की से शादी की। 2005 में ये रिश्ता तलाक पर खत्म हो गया। 2016 में उन्होंने परवीन दुसांज से चौथी शादी की।

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कबीर बेदी ने 1971 में आई फिल्म 'हलचल' से बॉलीवुड में कदम रखा था। इसके अलावा उन्होंने 'कच्चे धागे', 'मां बहन और बीवी', 'नागिन', 'डाकू', 'अशांति', 'खून भरी मांग', 'पुलिस पब्लिक', 'कुर्बान', 'दिल आशना है', 'यलगार', 'दिलवाले', 'मोहनजो दाड़ो' जैसी फिल्मों में काम किया है।

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