17 साल गुमनामी के अंधेरे में रही ये संगीतकार जोड़ी, महेश भट्ट से 1 मुलाकात ने पलटकर रख दी थी किस्मत

मुंबई. 90 के दौर की सबसे हिट संगीतकार जोड़ी नदीम-श्रवण (Nadeem Shravan) के श्रवण राठौड़ (Shravan Rathod) अब इस दुनिया मे नहीं हैं। 22 अप्रैल को कोरोना के कारण उनका निधन हो गया। कई सुपरहिट फिल्मों में संगीत देने वाले नदीम-श्रवण के लिए कामयाबी का रास्ता इतना आसान नहीं था। उन्होंने इसके लिए खूब पापड़ बेले। आज आपको उनकी जिंदगी से जुड़े से कुछ ऐसे फैक्ट्स बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद ही किसी ने सुना हो। आपको बता दें कि एक गानों के एल्बम की वजह से 17 साल तक गुमनामी में रहने वाली यह जोड़ी रातोंरात बॉलीवुड इंडस्ट्री में चमक गई थी। इतना ही नहीं हर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर इनका दीवाना हो गया था और अपनी फिल्म में इन्हीं से संगीत दिलवाना चाहता था।

Asianet News Hindi | Published : Apr 28, 2021 8:26 AM IST

19
17 साल गुमनामी के अंधेरे में रही ये संगीतकार जोड़ी, महेश भट्ट से 1 मुलाकात ने पलटकर रख दी थी किस्मत

आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म आशिकी के गाने फिल्म के लिए नहीं लिखे गए थे बल्कि इन गानों के लिए यह फिल्म बनाई गई थी। आशिकी फिल्म के सारे गाने पहले एक एल्बम के लिए तैयार किए गए थे, जिन्हें सुनकर महेश भट्ट इतने खुश हो गए कि उन्होंने फिल्म बनाने का फैसला ले लिया था।

29

नदीम-श्रवण 70 के दशक से संगीत की दुनिया में एक्टिव थे। हालांकि, उनकी किस्मत बहुत अच्छी नहीं रही। वे जिस भी फिल्म में संगीत देते वो ज्यादा नहीं चल पाती और इस कारण दोनों परेशान रहने लगे। 

39

रिपोर्ट्स की मानें तो इसके बाद श्रवण ने नदीम से कहा कि अब वे कभी भी फिल्म के लिए म्यूजिक नहीं देंगे बल्कि अपना खुद का एल्बम तैयार करेंगे। इसके लिए श्रवण ने नदीम के साथ मिलकर कई सारे गाने बनाए। सिंगर अनुराधा पौडवाल एक बार नदीम-श्रवण के लिए एक गाना रिकॉर्ड कर रही थीं और फिर अनुराधा ने ही गुलशन कुमार से जाकर इस जोड़ी के बारे में बताया था।

49

गुलशन कुमार ने नदीम-श्रवण से मुलाकात की और उनके गाने सुने। उनको गाने इतने पसंद आए कि उन्होंने कहा- मुझे ऐसे ही 8 बेस्ट गाने दो। इस पर नदीम ने कहा कि आप वादा करें  इन्हें लेकर फिल्म नहीं बनाएंगे। गुलशन कुमार ने कहा ठीक है। इसके बाद नदीम-श्रवण ने कई गाने बनाए। इनमें 'नजर के सामने', 'दिल है कि मानता नहीं', 'मैं दुनिया भुला दूंगा' और 'धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना' गाना शामिल था।

59

ये गाने गुलशन कुमार और अनुराधा पौडवाल ने सुने। एक दिन अनुराधा ने नदीम को फोन करके कहा कि ये गाने सबको पसंद आए हैं और अब इन गानों पर फिल्म बनेगी। बता दें कि इन गानों को सुनने के बाद महेश भट्ट ने फिल्म बनाने की सोची थी। 

69

बता दें कि नदीम-श्रवण लंबे समय से महेश भट्ट के साथ काम करना चाहते थे लेकिन किस्मत ने उन्हें कुछ इस तरह मिलवाया। महेश भट्ट ने नदीम-श्रवण से मुलाकात की। उन्होंने जोड़ी से कहा चार गाने मैं ले रहा हूं। मुझे 2 गाने सिचुएशन पर और रिकॉर्ड करके दे दो।

79

महेश भट्ट ने दोनों को फोन पर ही फिल्म की कहानी बताई और कहा कि इस सिचुएशन पर दो गाने चाहिए। दोनों ने मिलकर गाने तैयार किए। ये दो गाने थे 'सांसों की जरूरत है जैसे' और 'अब तेरे बिन जी लेंगे हम'। फिर फिल्म आशिकी रिलीज होने के बाद नदीम-श्रवण रातोंरात स्टार बन गए। 

89

बता दें कि नदीम-श्रवण की जोड़ी ने  'आशिकी', 'साजन', 'सड़क', 'दिल है कि मानता नहीं', 'साथी', 'दीवाना', 'फूल और कांटे', 'हम हैं राही प्यार के', 'राजा हिंदुस्तानी', 'जान तेरे नाम' 'रंग', 'राजा', 'धड़कन', 'परदेस', 'दिलवाले', 'राज', 'अंदाज', 'बरसात', 'सिर्फ तुम', 'कसूर', 'बेवफा' जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया है।

99

नदीम-श्रवण ने 70 के दशक में भोजपुरी फिल्म दंगल से एक संगीतकार जोड़ी के तौर पर अपनी शुरुआत की थी। इसके बाद 1981 में आई मैंने जीना सीख लिया बतौर संगीतकार नदीम-श्रवण की पहली हिंदी फिल्म थी। 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos