मुंबई. हिंदी सिनेमा के शोमैन और मशहूर अभिनेता, निर्माता-निर्देशक राज कपूर (Raj Kapoor) का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। अपने पिता पृथ्वी राज कपूर की तरह हिंदी सिनेमा में राज कपूर का योगदान अविश्वसनीय है। कभी आवारा तो कभी श्री 420, कभी अनाड़ी तो कभी जोकर बनकर सबका दिल जीतने वाले राज कपूर की अदाकारी की तरह उनका दिल भी सौ फीसदी सोने जैसा खरा था। राज कपूर की दरियादिली ऐसी थी कि बड़े बड़े कलाकार भी उनके कायल हो गए।
ये राज कपूर की उदारता ही थी कि जिसकी बदौलत उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की सबसे काबिल टीम खड़ी की। बात चाहे गायक मुकेश और लता मंगेशकर की हो या गीतकार शैलेन्द्र की, राज कपूर की इस शख्सियत ने सबका दिल जीत लिया।
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फिल्मों में आने से पहले गीतकार शैलेंद्र सिर्फ एक कवि हुआ करते थे। वे अक्सर कवि सम्मेलनों में कविता पाठ किया करते थे। एक बार जब राज कपूर ने एक कार्यक्रम में शैलेंद्र की कविता पढ़ते सुना तो उन्हें फिल्मों में आने का न्यौता दिया। कहते हैं कि तब शैलेन्द्र ने बड़ी शालीनता से ये प्रस्ताव ठुकरा दिया।
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लेकिन बाद में जब शैलेन्द्र की पत्नी गंभीर रूप से बीमार हुईं तो उन्होंने राज कपूर से मदद मांगी। राज कपूर ने बिना देर किए शैलेन्द्र को पैसे दे दिए। इसके बाद शैलेन्द्र ने राज कपूर के लिए फिल्मों में गीत लिखना शुरू कर दिया।
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इसी तरह गायक मुकेश का दिल भी राज कपूर ने अपनी दरियादिली से जीता था। दरअसल राज कपूर और मुकेश एक ही गुरु के पास संगीत सीखने जाते थे। मुकेश की आवाज सुनकर तब राज कपूर ने उन्हें अपनी फिल्म में गवाने का वादा किया था।
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कहा जाता है कि बाद में जब राज कपूर ने पहली फिल्म आग बनाई तो सबसे पहले उन्होंने मुकेश को ही बुलाया। उसके बाद से मरते दम तक मुकेश ही राज कपूर की फिल्मों में गाना गाते रहे।
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फिल्मों के अलावा राज कपूर अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी खूब सुर्खियों में रहे थे। नरगिस के साथ राज कपूर को प्यार था, लेकिन पृथ्वीराज कपूर को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। राज कपूर और नरगिस ने एक साथ 16 फिल्में की। लेकिन इनकी जोड़ी रियल जिंदगी में नहीं बन पाई।