लकड़ी काटने वाला मजदूर कड़ी मेहनत से बना IAS अधिकारी, स्टेशन पर बैठकर पढ़ीं UPSC की किताबें

करियर डेस्क. woodcuter labour man become IAS: इरादें मजबूत हों तो कितना ही बड़ा सपना पूरा हो जाता है। मुश्किल रास्ते आसान बनाने लोग हल ढूंढ़ते और मेहनत में जुट जाते हैं। बहुत से लोगों ने गरीबी झेलकर भी सफलता हासिल की है। पर क्या आपने कभी सुना है कि किसी मजदूर ने अधिकारी का पद पा लिया हो। एक ऐसा मजदूर जिसकी मां बांस की टोकरियां बेचकर घर चलाती है। इस शख्स के घर की हालत इतनी खराब थी कि शराबी पिता ने सब कुछ बेच डाला था। गांव में हर जगह थू-थू होती थी लेकिन बेटे ने अफसर बन घर-परिवार की काया ही पलट दी। ये कहानी देश के हर बच्चे को सुननी चाहिए। कैसे एक लकड़ी काटने वाला मजदूर कड़ी मेहनत से IAS अफसर बन गया-
 

Kalpana Shital | Published : Dec 16, 2020 11:52 AM IST

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लकड़ी काटने वाला मजदूर कड़ी मेहनत से बना IAS अधिकारी, स्टेशन पर बैठकर पढ़ीं UPSC की किताबें

जानिए कैसे गरीबी, सुविधाओं की कमी होते हुए भी स्टेशन पर पढ़कर इस शख्स ने देश का अफसर बनकर दिखाया है।  (राइट साइड में प्रतीकात्मक तस्वीर)

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तमिलनाडु के तंजावुर जिले के रहने वाले एम शिवागुरू प्रभाकरन के परिवार की हालत अच्छी नहीं थी। उनके पिता शराबी थे और मां और बहन बांस की टोकरी बुनती। इन टोकरियों को बेचकर ही मां घर का खर्च चलाती थीं।

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बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा था लेकिन शराबी पिता की वजह से घर की जिम्मेदारी उस पर आ गई। घर की जिम्मेदारियों के चलते प्रभाकरन ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। पर वो बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहते थे जिसकी कसक उन्हें लकड़ी काटते वक्त कचोटती रही।

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पढ़ाई छोड़ने के बाद प्रभाकरन ने 2 साल तक आरा मशीन में लकड़ी काटने का काम किया। प्रभाकरन ने मजदूरी भी की। वह मजदूरी करते और फिर स्टेशन पर जाकर पढ़ाई करते।

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घर की आर्थिक स्थिती इतनी खराब थी कि मां को बांस की टोकरियां बुन दरदर जाकर बेचना पड़ता था। बेटे के दिल में सरकारी अफसर बनने की आग थी लेकिन हाय री गरीबी। उसे पढ़ाई नहीं मजदूरी करनी पड़ रही थी।

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प्रभाकरन ने भले ही पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन उन्होंने अपने सपने को मरने नहीं दिया। प्रभाकरन इंजीनियरिंग करना चाहते थे, कॉलेज जाना चाहते थे पर उन्होंने पैसे खर्च करने की बजय स्टेशन पर पढ़ने की ठान ली।

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प्रभाकरन दिन में पढ़ाई करते और रात में सेंट थॉमस रेलवे स्टेशन पर बिताया करते थे। ऐसे में उनके दोस्त ने उन्हें सेंट थॉमस माउंट के बारे में बताया जो कि पिछड़े लोगों के लिए ट्रैनिंग की सुविधा देते थे। इससे प्रभाकरन की जिंदगी संवर गई।

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दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें आईआईटी में दाखिला मिल गया। आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रभाकरन ने एमटेक में एडमिशन लिया। यहां भी उन्होंने टॉप रैंक हासिल की।

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साल 2017 में एम शिवागुरू प्रभाकरन ने यूपीएससी की परीक्षा में 101वीं रैंक हासिल की थी। प्रभाकरन ने ये स्थान 990 कैंडिडेट्स के बीच प्राप्त किया था। सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करना प्रभाकरन के लिए किसी सपने से कम नहीं था। उन्होंने ये रैंक चौथी बार में हासिल की थी। इससे पहले उन्हें तीन बार असफलता हासिल हुई थी।

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प्रभाकर के अफसर बनने के बाद गांव में खुशी और हैरानी की लहर दौड़ गई। एक लकड़ी काटने वाला मजदूर अब सरकारी अफसर बन चुका था। प्रभाकरन ने छोटे भाई की पढ़ाई करवाई और फिर बहन की शादी भी की। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी किसी भी आईएएस छात्र के लिए मिसाल है।

 

(सभी तस्वीरें प्रभाकरन के फेसबुक से ली गई हैं।)

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