रास्ते में रुपयों से भरा बैग मिला, क्या उसे उठा लेना अपराध है? जानें काम के ऐसे ही सवालों के जवाब

नई दिल्ली. अगर आप रास्ते से जा रहे हैं और आप को पैसों से भरा कोई बैग मिल जाता है, तो क्या उस बैग को उठाना अपराध है? आपको शायह ही इस सवाल का जवाब पता हो। ऐसा ही एक और सवाल पूछते हैं। कई बार सुना होगा कि पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज नहीं की जा रही है? क्या पुलिस को अधिकार है कि वह चाहे तो FIR दर्ज करे तो चाहे तो न करे? ये ऐसे सवाल हैं जो कभी न कभी हमारे सामने आते हैं। इतना ही नहीं, दैनिक जीवन में हमारे पास कई ऐसे अधिकार हैं जिनके बारे में पता न होने की वजह से हम बेबस नजर आते हैं। इन्हीं दैनिक जीवन से जुड़े सवालों के जवाब जानने के लिए एशियानेट न्यूज हिंदी 'काम की बात' नाम से सीरीज शुरू कर रहा है, जिसमें दैनिक जीवन में सबसे ज्यादा काम आने वाले अधिकारों के बारे में बात करेंगे। रास्ते में मिला पैसा उठाना अपराध है...?

Asianet News Hindi | Published : Jul 21, 2021 10:58 AM IST

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रास्ते में रुपयों से भरा बैग मिला, क्या उसे उठा लेना अपराध है? जानें काम के ऐसे ही सवालों के जवाब

पहला सवाल था कि रास्ते में रुपयों से भरा बैग मिल जाए तो क्या उसे उठा लेना अपराध है?

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पहली बात तो कभी भी हमारे साथ ऐसा होता है तो हम में से जो ज्यादा जिम्मेदार होते हैं वह उस बैग को पुलिस स्टेशन में जमा करवा देते हैं। हालांकि IPC में कहीं पर भी ऐसा नहीं लिखा है कि ऐसी स्थिति में बैग को पुलिस स्टेशन में जमा करवा देना चाहिए। ये आपकी नैतिकता के ऊपर है।

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पुलिस स्टेशन में जमा करने के पीछे सोच होती है कि पुलिसवाले संबंधित व्यक्ति को ढूंढकर सामान उस तक पहुंचा देंगे। दूसरी बात कि ये चोरी नहीं है। चोरी के लिए किसी के कब्जे से आप ले रहे हो तो वह चोरी है। 

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रास्ते में पड़ा बैग मिला है तो आपको कानूनी रूप से बैग के मालिक को खोजना चाहिए। अगर काफी कोशिशों के बाद भी उसका मालिक न मिले तो वह प्रॉपर्टी अपने उपयोग में ले सकता है। हां, ये जरूर है कि व्यक्ति को बैग के मालिक को खोजने की कोशिश जरूर करनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो वह कानूनी रूप से अपराध के श्रेणी में आता है।  

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दूसरा सवाल कि कई बार ऐसा होता है कि आप पुलिस स्टेशन में FIR लिखवाने गए, लेकिन वहां पर पुलिसवाले रिपोर्ट लिखने से मना कर देते हैं। ऐसे में आप को समझ में नहीं आता क्या करें। 

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किसी भी थाने में पुलिस अफसर FIR लिखने से मना नहीं कर सकता है। अगर कोई पुलिसवाला ऐसा करता है तो उसे 6 महीने से लेकर 1 साल तक की जेल हो सकती है। ये IPC की धारा 166 A के अंतर्गत आता है।

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