एक समय था जब स्कूल जाने के लिए उनके पास पैंट भी नहीं थी और आठवीं क्लास तक निक्कर पहन कर जाते थे। लेकिन जिंदगी के इन्हीं अभावों ने उन्हें अंदर से मजबूत कर दिया। प्रेमसुख बताते हैं कि, मैं गांव में रहता था, खेती करता था, मवेशियों को चराता था। लेकिन जब भी समय मिला चाहे खेती की रखवाली करते हुए या फिर मवेशियों की चराई के साथ, पढ़ाई करने बैठ जाता था। वो बताते हैं कि, मेरे लिए खोने के लिए कुछ भी नहीं था लेकिन मुझे पता था कि यहां से आगे जाने की, बड़ा बनने की असंख्य संभावनाएं हैं।