Amitabh Bachchan @ 61 days: जब जिंदगी और मौत से लड़े थे बिग बी, ठीक होकर घर लौटे तो पिता रोए थे फूट-फूटकर

मुंबई. 78 साल के अमिताभ बच्चन (amitabh bachchan) की एक बार फिर से तबीयत बिगड़ गई है। अमिताभ ने अपने ब्लॉग के जरिए ये जानकारी दी है कि उनकी तबीयत बिगड़ गई गई और अब उन्हें सर्जरी करवानी पड़ेगी। बिग बी ने शनिवार को अपने ब्लॉग में लिखा- मेडिकल कन्डिशन... सर्जरी... मैं लिख नहीं सकता, एबी।' अमिताभ ने इसके अलावा कोई जानकारी शेयर नहीं की है। इससे पहले अमिताभ ने एक ट्वीट कर लिखा था- कुछ जरूरत से ज्यादा बढ़ गया है। कुछ काटने पर सुधरने वाला है। जीवन काल का कल है ये, कल ही पता चलेगा कैसे रहे वे। अमिताभ कई सारी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इतना ही बिग बी का 75 फीसदी लीवर ही काम नहीं करता है। बावजूद इसके वे बेहद एक्टिव रहते हैं। वैसे, आपको बता दें कि उन्हें हेपटाइटिस बी नाम की बीमारी है। इसका पता उन्हें 2000 में चला था। ये बीमारी उन्हें उस दौरान लगी जब फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान हुए हादसे के बाद उन्हें खूब चढ़ाया गया था। फिल्म में हुए हादसे से बाद अमिताभ 61 दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़े थे। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2021 8:36 AM IST

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Amitabh Bachchan @ 61 days: जब जिंदगी और मौत से लड़े थे बिग बी, ठीक होकर घर लौटे तो पिता रोए थे फूट-फूटकर

अमिताभ के साथ यह हादसा 24 जुलाई, 1982 को बेंगलुरू में कुली की शूटिंग के वक्त हुआ था। एक्शन डायरेक्टर के मुताबिक, फिल्म के एक फाइट सीन में पुनीत इस्सर का घूंसा अमिताभ के मुंह पर लगना था, जिससे वे एक टेबल पर गिरते हैं। 

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सीन के डुप्लीकेट बॉडी डबल के सहारे की बात भी की गई, लेकिन अमिताभ इसे खुद करने पर जोर दे रहे थे, ताकि सीन रियल लगे। सीन प्लान के मुताबिक शूट हुआ और पूरी तरह रियल लगा। सभी तालियां बजा रहे थे। अमिताभ भी मुस्कुराए, लेकिन तभी उनके पेट में हल्का दर्द शुरू हुआ। टेबल का एक कोना उनके पेट में बुरी तरह चुभ गया था।

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सभी को ये चोट मामूली लग रही थी क्योंकि खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी। अमिताभ होटल में आराम करने चले गए, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ। अगले दिन यानी 25 जुलाई को यह दर्द कम होने की बजाए बढ़ गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। एक्स-रे हुआ, लेकिन डॉक्टर्स को कुछ समझ नहीं आया। 

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अमिताभ को नींद की गोली देकर सुला दिया गया। खबर मिलते ही मां तेजी, पत्नी जया और भाई अजिताभ अस्पताल पहुंचे। वे उन्हें मुंबई ले जाना चाहते थे, लेकिन डॉक्टर्स ने इसकी इजाजत नहीं दी। तीसरे दिन यानी 26 जुलाई को अमिताभ की स्थिति और बिगड़ गई। तभी वेलोर के जाने-माने सर्जन एचएस भट्ट वहां आए हुए थे। यूनिट के कई बार आग्रह करने के बाद डॉ. भट्ट अमिताभ का केस स्टडी करने के लिए तैयार हुए। 

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रिपोर्ट देखने के बाद उन्होंने कहा कि यदि दवाओं से आज अमिताभ की हालत नहीं सुधरी तो कल ऑपरेशन करना पड़ेगा। 27 जुलाई को डॉक्टर्स ने ऑपरेशन का फैसला लिया। उन्होंने पेट चीरकर देखा तो हैरान रह गए। अमिताभ के पेट की झिल्ली (जो पेट के अंगो को जोड़े रखती है और केमिकल्स से उन्हें बचाती है) फट चुकी थी। छोटी आंत भी फट गई थी। 

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इस स्थिति में किसी भी इंसान का 3 से 4 घंटे जीवित रह पाना मुश्किल होता है लेकिन अमिताभ 3 दिन तक इस कंडीशन से गुजरे। डॉक्टर्स ने पेट की सफाई की, आंत सिली। उस वक्त अमिताभ को पहले से ही कई बीमारियां (अस्थमा, पीलिया के कारण एक किडनी भी खराब हो चुकी थी, डायबिटीज) थीं। ऐसे में वो इतने दिन इस प्रॉब्लम से कैसे लड़े ये किसी आश्चर्य से कम नहीं था।

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ऑपरेशन के एक दिन बाद अमिताभ को निमोनिया भी हो गया। उनके शरीर में जहर फैलता जा रहा था, खून पतला हो रहा था। ब्लड डेंसिटी को सुधारने के लिए बेंगलुरू में सेल्स मौजूद नहीं थे, जिन्हें मुंबई से मंगवाया गया। 

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खून में सेल्स मिलाने के बाद अमिताभ की स्थिति 4 दिनों में पहली बार कुछ सुधरी थी, लेकिन अगले ही दिन फिर उनकी हालत खराब हो गई और उन्हें जैसे-तैसे उन्हें संभाला गया। मीटिंग कर डॉक्टर्स ने तय किया कि अमिताभ को मुंबई ले जाना ही सही होगा, वहां बेहतर इलाज की सुविधा थी।

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फाइनली एयरबस के जरिए अमिताभ को मुंबई ले जाना तय हुआ। स्टेचर पर लेटे अमिताभ को क्रेन की मदद से एयरबस में शिफ्ट किया गया। रात 11 बजे बेंगलुरू से निकली एयरबस 31 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे मुंबई पहुंची। उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल की दूसरी मंजिल पर स्पेशल विजिलेंस वॉर्ड में रखा गया। 1 अगस्त की सुबह तक उनकी हालत में काफी सुधार था।

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16 अगस्त को आखिर अमिताभ की सेहत में सुधार हुआ। वो खाने-पीने लगे और कुछ कदम चलने भी लगे, लगातार उनकी सेहत में सुधार होता गया। 24 सितंबर के दिन आखिरकार अमिताभ को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लोगों की बेकाबू भीड़ उनका इंतजार कर रही थी। ठीक होने पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए अमिताभ ने कहा था कि जिंदगी और मौत के बीच यह एक भयावह अग्नि परीक्षा थी। दो महीने का अस्पताल प्रवास और मौत से लड़ाई खत्म हो चुकी है। अब वो मौत पर विजय पाकर अपने घर लौटे हैं। जब वे घर लौटे तो पिता हरिवंशराय बच्चन बेटे को गले लगाकर फूट-फूटकर रोए थे।

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इलाज के लिए जरूरी खून की कमी पूरी करने के लिए करीब 200 लोगों ने ब्लड डोनेट किया था। उन्हीं में से किसी एक शख्स को हेपटाइटिस बी की बीमारी थी। जो ब्लड लेने के दौरान उनमें भी आ गई। और इस बीमारी से आज भी बिग भी जूझ रहे हैं। 

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