'शोले' @ 45: महज 3 मिनट के सीन को शूट करने में लग गए थे इतने साल, जानें इसके पीछे की दिलचस्प वजह

मुंबई. भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक 'शोले' की रिलीज को 45 साल पूरे हो गए हैं। फिल्म की असली रिलीज डेट 14 अगस्‍त 1975 है, क्योंकि इसी दिन फिल्म मुंबई के मिनरवा थिएटर में लगी थी। इसके बाद 15 अगस्‍त से देश के बाकी जगह रिलीज हुई थी। आपको बता दें कि फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी को फिल्म के एक सीन को शूट करने में करीब 3 साल लग गए थे। इस बात का खुलासा खुद अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में किया था। फिल्म में अमिताभ के धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार, अमजद खान लीड रोल में थे। बता दें कि इस फिल्म में काम करने वाले कई स्टार्स अब इस दुनिया में नहीं है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 15, 2020 6:46 AM IST / Updated: Aug 18 2020, 03:27 PM IST
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'शोले' @ 45: महज 3 मिनट के सीन को शूट करने में लग गए थे इतने साल, जानें इसके पीछे की दिलचस्प वजह

अमिताभ ने बताया था- उनके और जया के बीच एक सीन है जिसे शूट करने में 3 साल लग गए थे।

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फिल्म शोले में एक सीन है जिसमें जया बच्चन लालटेन जला रही हैं और अमिताभ माउथ आर्गन बजा रहे हैं। वो सीन मुश्किल से 3 मिनट का है। जिसे शूट करने के लिए 3 साल लग गए।

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अमिताभ ने अपने इंटरव्यू में इस सीन के बारे में कहा था- मुझे हैरानी है कि लोगों को फिल्म में वो सीन याद है जिसमें जया लालटेन जला रही थीं और मैं आउटहाउस में बैठा माउथ आर्गन बजा रहा था।

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इस सीन को शूट करने के लिए एक अलग लाइटिंग की जरूरत थी। हमारे डायरेक्टर सूर्यास्त के समय शॉट लेना चाहते थे। आपको विश्वास नहीं होगा कि रमेश जी ने इस सीन को शूट करने में 3 साल बिता दिए ताकि उन्हें परफेक्ट शॉट मिल सके।

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रमेश सिप्पी शोले को इंडिया की सबसे बड़ी फिल्म बनाना चाहते थे। 35 एमएम का फॉर्मेट फिल्म को बड़ा बनाने के लिए छोटा था इसलिए तय किया गया था कि इसे 70 एमएम और स्टीरियोफोनिक साउंड में बनाया जाए। लेकिन विदेशों से कैमरे मंगाकर शूटिंग करने से फिल्म का बजट काफी ऊपर जा रहा था इसीलिए फिल्म की ज्यादातर शूटिंग 35 एमएम में की गई और उसके बाद उसे 70 एमएम में ब्लोअप किया गया था।

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शोले का कुल बजट 3 करोड़ रुपए था। निर्देशक रमेश सिप्‍पी कह चुके हैं कि आज इस फिल्‍म को बनाने में 150 करोड़ रुपए का बजट चाहिए। जबकि 100 करोड़ रुपए कम से कम स्‍टार कास्‍ट पर, जबकि उस समय सिर्फ 20 लाख रुपए में कास्‍ट‍िंग हो गई थी।

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पूरी फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के बंगलूरू और मैसूर के बीच स्थित पहाड़ियों से घिरे 'रामनगरम' में हुई थी। यहां के एक गांव को रामगढ़ की शक्ल दी गई थी। 

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